आगरा। देश की स्वतंत्रता के 71 वर्ष को हम आज धूम धाम से मना रहे हैं, लेकिन आजादी के जश्न में हम उन अमर शहीदों का इतिहास भूलकर जश्न मना रहे हैं, जो आजादी की इस जंग में अपने जीवन की जंग हार गए। आज उन शहीदों के इतिहास को जब हमे अपनी आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है, लेकिन ये अमर शहीदों का ये इतिहास ताले में कैद होकर रह गय है। हम बात कर रहे हैं संजय प्लेस स्थित शहीद स्मारक की, जहां शहीदों की यादों को संजाये हुए एक वृहद्ध लाइब्रेरी है, लेकिन इस पर अब ताला लटका रहता है।
हाल है बेहाल
शहीद स्मारक अब बिजनेस स्पॉट बन गया है। चारों ओर बड़ी बड़ी कंपनियों के कार्यालय है, जिसके चलते कार्यालयों के लोगों की आॅपन मीटिंग यहां चलती हैं। हम बात कर रहे हैं लाइब्रेरी की। तो इसका तो हाल पूछिये ही मत। हिंदी अंग्रेजी के अखबार लाइब्रेरी के बाहर बनी टेबिल पर दिखाई देते हैं, वहीं लाइब्रेरी का मुख्य दरवाजा बंद होता है। इस दरवाजे पर ताला लटका हुआ दिखाई देता है।
किताबें हो गईं चोरी
यहां बैठे गार्ड से पत्रिका टीम ने बातचीत की। उसने बताया कि ताला नहीं खुलता है। कारण पूछने पर बताया गया, कि लोग किताबों में से पेज फाड़ ले जाते हैं, कई किताबें चोरी हो गई हैं, इसलिए इसका दरवाजा बंद ही रहता है। शहीद स्मारक समिति को लाइब्रेरी के लिए नगर निगम की ओर से प्रति वर्ष दस हजार रुपये भी मिलते हैं। समिति का दावा है कि उसके सदस्य भी आर्थिक मदद करते हैं।