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1.ताजमहल का निर्माण मुमताज (1 सितम्बर 1593- 17 जून 1631) की याद में किया गया है। मुमताज पर्सिया देश की राजकुमारी थी। मुमताज की मौत 1631 में 14वीं संतान गौहर बेगम को जन्म देते समय बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) में समय हुई थी।
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1.ताजमहल का निर्माण मुमताज (1 सितम्बर 1593- 17 जून 1631) की याद में किया गया है। मुमताज पर्सिया देश की राजकुमारी थी। मुमताज की मौत 1631 में 14वीं संतान गौहर बेगम को जन्म देते समय बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) में समय हुई थी।
2.शाहजहां ने 1631 में ताजमहल के निर्माण की घोषणा की, लेकिन निर्माण 1632 में शुरू हुआ। ताजमहल के निर्माण की व्यापक तैयारी की गई। 3.ताजमहल के निर्माण पर तब 3.20 करोड़ रुपये की लागत आई। आज से तुलना करें तो यह लागत करीब 53 अरब रुपये बैठती है।
4. उस्ताद अमहद लाहौरी की देखरेख में ताजमहल का निर्माण 20 हजार मजदूरों ने किया। ताजमहल 20 साल में बनकर पूरा हो पाया। बिना रुके लगातार काम चला। यह भी पढ़ें अगस्त क्रांति की दो बड़ी घटनाएं, बरहन रेलवे स्टेशन और चमरौला कांड, आजादी के दीवानों ने हिला दी थी गोरी हुकूमत
5.ताजमहल के प्रवेश द्वार पर लिखा है- हे आत्मा, तू ईश्वर पास विश्राम कर। ईश्वर के पास शांति के साथ रह तथा उसकी पूर्ण शांति तुझ पर बरसे। ताजमहल के द्वार पर कुरान की आयतें उकेरी गई हैं।
6. ताजमहल की नींव कुआं आधारित है। विशेषज्ञों का कहना है कि ताजमहल को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि यमुना दीवार से सटकर बहती रहे। इस बारे में आईआईटी रुड़की ने शोध भी किया है।
7.कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए ताकि कोई अन्य दूसरा ताजमहल न बनवा सके। इस बारे में कुछ इतिहासकार कहते हैं कि कलाप्रेमी शाहजहां ऐसा काम नहीं कर सकता है। यह हो सकता है कि शाहजहां ने शिल्पकारों को इतनी रकम दे दी हो कि वे कहीं और काम न करें। इसके बाद शिल्पकार कहने लगे हों कि शाहजहां ने तो हमारे हाथ की काट दिए हैं, काम कैसे करें।
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8.मुगलकाल के सभी स्मारक लाल पत्थर से बने हैं, लेकिन ताजमहल ही श्वेत संगमरमर से बनाया गया है। ताजमहल बनाने में रंगीन पत्थर पूरी दुनिया से मंगाए गए।
8.मुगलकाल के सभी स्मारक लाल पत्थर से बने हैं, लेकिन ताजमहल ही श्वेत संगमरमर से बनाया गया है। ताजमहल बनाने में रंगीन पत्थर पूरी दुनिया से मंगाए गए।
9. ताजमहल में शाहजहां और मुमताज महल की दो कब्रे हैं। ऊपर असली कब्रें हैं, जिनकी नक्काशी देखते ही बनती है। इसके नीचे असली कब्रें हैं। ये साधारण है। 10.मुमताज और शाहजहां की असली कब्रें साल में सिर्फ तीन दिन शाहजहां के उर्स के मौके पर आम पर्यटकों के लिए खोली जाती हैं। पहले ये कब्रें आम पर्यटकों के लिए भी खोली जाती थीं। इन कब्रों पर चढ़ावा भी चढ़ाया जाता था, जो बंद कर दिया गया है। विशिष्ट अतिथियों को भी असली कब्रें दिखाई जाती हैं।