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Jain Muni Tarun Sagar Maharaj Death : पीलिया के चलते जैन मुनि तरुण सागर का निधन, जानिए क्या होता है पीलिया, कारण, लक्षण और बचाव

Jain Muni Tarun Sagar Ji Maharaj Death : जैन मुनि तरुण सागर का पीलिया के चलते 51 साल की उम्र में निधन हो गया। जानिए पीलिया के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

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आगरा

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suchita mishra

Sep 01, 2018

tarun sagar

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जैन मुनि तरुण सागर का पीलिया के चलते 51 साल की उम्र में निधन हो गया। jain muni Tarun Sagar Maharaj को करीब 20 दिन पहले पीलिया हुआ था, उसके बाद उनका इलाज दिल्ली के निजी अस्पताल में कराया गया था। बताया जा रहा है कि उन पर दवाओं का असर होना बंद हो गया था, उसके बाद जैन मुनि ने इलाज कराने से भी इनकार कर दिया था जिससे उनकी बीमारी बढ़ गई थी और शनिवार सुबह 3:18 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। जैसा कि हम सब जानते हैं कि जैन मुनि अपने खानपान को लेकर काफी संतुलित थे, ऐसे में सवाल उठता है कि उन्हें पीलिया जैसी बीमारी हुई कैसे? जानते हैं पीलिया से जुड़ी तमाम बातें।

कैसे होता है पीलिया
पीलिया (Jaundice) लिवर को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। दरअसल हमारे पित्त की थैली में पित्त इकट्ठा होता है। ये पित्त खाना पचाने में मददगार होता है। जब भोजन पेट से गुजरता हुआ ग्रहणी यानी डयूडेनल में प्रवेश करता है, तो उसके साथ पित्त भी गॉलब्लेडर से निकल कर ग्रहणी में पहुंचता है और खाना पचाने में मदद करता है। लेकिन यदि किसी कारण पित्त निकलकर भोजन में मिलने के बजाय सीधे रक्त में मिल जाए तो ये रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाता है। इससे पित्त में मौजूद पदार्थ बिलरुबीन सूक्ष्म रक्त वाहिनियों से निकल कर त्वचा, श्लेष्मिक कला व आंखों की कंजेक्टाइवा आदि में फ़ैल जाता है। इसके कारण आंखें, नाखून, त्वचा व यूरिन आदि पीले हो जाते हैं। पीले रंग के कारण इसे सामान्य भाषा में पीलिया कहा जाता है। जबकि अंग्रेजी में इसे जॉन्डिस कहते हैं।

प्रमुख कारण
दूषित खानपान, वायरल इन्फेक्शन, अल्कोहल, ब्लड में इंफेक्शन, हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस का संक्रमण, पित्त की नली में गांठ या कैंसर, हैवी मेटल से निर्मित दवाओं का सेवन व संक्रमित खून के चढ़ने से भी ऐसा हो सकता है।

ये लक्षण आते सामने
आंख, नाखून, त्वचा, यूरिन आदि का पीला होना, भूख न लगना, जी मिचलाना, कुछ खाने का मन न करना, पेट में दर्द, थकान महसूस करना, वजन घटना, शुरुआती स्टेज में वायरल फीवर की भी समस्या कई बार सामने आती है।

ऐसे करें बचाव
उपरोक्त लक्षणों के दिखते ही देर किए बगैर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट से संपर्क करें। दूषित खानपान, शराब आदि के सेवन से बचें। डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। दवाएं समय पर लें। उबला हुआ पानी पिएं। चिकनाईयुक्त व मसालेदार भोजन से परहेज करें। खानपान के दौरान साफ सफाई का विशेष ध्यान दें।