कुरआन में हर मुसलमान को जीवन में एक बार मक्का की यात्रा करने के लिए प्रेरित किया गया है। मक्का में काबा स्थित है। इसे अल्लाह का घर यानी बैतुल्ला कहा जाता है। कुरआन में काबा को जन्नत बताते हुए कहा गया है कि हर रोज कम से कम 70 हजार फरिश्ते काबा की परिक्रमा करते हैं।
बताया जाता है कि जब इब्राहिम अल्लाह की खातिर अपने सबसे अजीज और इकलौते पुत्र इस्माइल की बलि दे रहे थे तो अल्लाह उनसे बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने दोनों कोे अपना पैगंबर बना लिया और उनसे अपने लिए एक घर बनवाने के लिए कहा। इसके बाद दोनों ने काबा का निर्माण कराया।
मक्का स्थित काबा एक कमरे की तरह बना हुआ है जिसके अंदर दो स्तंभ हैं। एक तरफ मेज रखी गयी है जहां लोग इत्र डालते हैं। काबा के अंदर लालटेन जैसे दो दीपक छत से लटकते हुए दिख जाते हैं। दीवारें और फर्श संगमरमर के बने हुए हैं। इसके अंदर एक बार में करीब 50 लोग जा सकते हैं। काबा के अंदर की उपरी दीवारों में पर्दे लगे हुए हैं, जिन पर कलीमा लिखकर कवर कर दिया गया है। काबा की चाबियां शैबा परिवार के पास रहती हैं। इसके अंदर जाने के लिए शैबा परिवार की मंजूरी जरूरी है।