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आगरा। कैराना, नूरपुर में मुस्लिम वोटरों ने चुनाव का रुख पलट दिया। लोकसभा 2019 की तैयारियों में लगी भारतीय जनता पार्टी अब नए सिरे से अपनी सीटों पर समीकरण बैठाने में लगेगी। वहीं लोकसभा चुनाव के लिए अगर सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस का महागठबंधन होता है तो आगरा में मुस्लिम भाजपा के लिए कड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं। इसका असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। दक्षिण विधानसभा एक सीट ऐसी सीट है जहां मुस्लिम वोटर बहुतायत में हैं। कैराना, नूरपुर जैसी एकजुटता अगर यहां दिखाई तो लोकसभा में भाजपा प्रत्याशी की राह आसान नहीं होगी।
सब मिले तो बदलेंगे समीकरण
पिछले दो विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के योगेंद्र उपाध्याय ने जीत दर्ज की है। 2012 में चली सपा की आंधी में भी वे डटकर खड़े रहे, तो मोदी लहर में उनकी जीत का कद और बढ़ गया। दक्षिण विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर अब तक विभाजित होता रहा। पिछले चुनावों में बहुजन समाज पार्टी से जुल्फिकार अहमद भुट्टो को 51,364 वोट मिले थे। जो 26.10 प्रतिशत थे। कांग्रेस के प्रत्याशी नजीर अहमद को 39,962 मत प्राप्त हुए थे, जो 20.10 प्रतिशत थे। वहीं अन्य 12 प्रत्याशियों को 31,132 वोट प्राप्त हुए थे। जो 15.82 प्रतिशत रहे थे। वहीं भारतीय जनता पार्टी के योगेंद्र उपाध्याय को 74,324 वोट मिले थे जो 37.77 प्रतिशत रहे थे। वहीं 2017 के चुनावों में ये आंकड़ा बढ़ गया। बसपा के जुल्फिकार अहमद भुट्टो को 57657 वोट मिले तो योगेंद्र उपाध्याय ने 1,11,882 वोट लेकर बड़ी जीत दर्ज की थी।
ब्रेक लगा पाना मुश्किल
इस बार लोकसभा चुनाव में मुस्लिम यदि एक हुए तो भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। आगरा में 16 लाख की आबादी में करीब चार लाख दलित और दो लाख से अधिक मुस्लिम हैं। यदि ये एक हुए तो दलितों की राजधानी से लोकसभा चुनाव में हाथी, साइकिल की रफ्तार पर ब्रेक लगा पाना मुश्किल हो सकेगा।
Published on:
05 Jun 2018 05:38 pm
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