श्रीमनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी ने बड़े ही सरल शब्दों में इस मंत्र का अर्थ बताया। उन्होंने बताया कि अमूमन ये माना जाता है कि शिव शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी वाला है। लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका स्वरुप बहुत दिव्य है। शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है, वे मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति। आज प्रारम्भ हो रहे पवन पावन महाशिवरात्रि पर देवो के देव भगवान महादेव जी से यही प्रार्थना करता हूँ कि आप सभी मित्रों व आप के कुटुम्बजनो को सुख ,शान्ति,धन,धान्य, से सम्पूर्ण करे और अपने भस्म रज को प्राप्त करने का अवसर प्रदान कराते रहे।