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महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को करना है प्रसन्न, तो इस मंत्र का करें जाप, जानें क्या है अर्थ, देखें वीडियो

श्रीमनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी ने बड़े ही सरल शब्दों में इस मंत्र का अर्थ बताया।

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आगरा

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Dhirendra yadav

Feb 14, 2018

Shiva Mantras

Shiva Mantras

आगरा। कर्पूरगौरं करुणावतारं,
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे,
भवं भवानीसहितं नमामि।।

इस मंत्र से शिवजी की स्तुति की जाती है।

कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।

करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं।

संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं।

भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।

सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।

जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव, माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।

महंत ने सरल भाव में बताया मंत्र का अर्थ
श्रीमनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी ने बड़े ही सरल शब्दों में इस मंत्र का अर्थ बताया। उन्होंने बताया कि अमूमन ये माना जाता है कि शिव शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी वाला है। लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका स्वरुप बहुत दिव्य है। शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है, वे मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति। आज प्रारम्भ हो रहे पवन पावन महाशिवरात्रि पर देवो के देव भगवान महादेव जी से यही प्रार्थना करता हूँ कि आप सभी मित्रों व आप के कुटुम्बजनो को सुख ,शान्ति,धन,धान्य, से सम्पूर्ण करे और अपने भस्म रज को प्राप्त करने का अवसर प्रदान कराते रहे।

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