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मौनी अमावस्या पर करेंगे इस मंत्र का जाप तो मिलेगा चमत्कारी लाभ

शिवजी के महामृत्युंजय मन्त्र का रहस्यमयी अर्थ और उसके चमत्कारी लाभ, 4 फरवरी 2019 को पड़ने वाली महासिद्ध योग वाली सोमवती अमावस्या से भी इसका जाप आरम्भ कर सकते हैं

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आगरा

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Abhishek Saxena

Feb 01, 2019

Lord Shiva

Lord Shiva

आगरा। वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने महामृत्युंजय मंत्र के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि पुराणों और वैदिक प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय मन्त्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का अमोघ महामन्त्र है। संयोग से इस बार 4 फरवरी को पड़ने वाली महासिद्ध दायक सोमवती मौनी अमावस्या से भी इस महामन्त्र का जाप आरम्भ किया जा सकता है। 4 मार्च को पड़ने वाली महाशिवरात्रि, या किसी भी शुक्ल पक्ष के सोमवार से इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप आरम्भ कर सकते हैं।

महामृत्युंजय महामन्त्र

"ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात"

महामृत्युंजय मन्त्र का रहस्यमयी अर्थ

वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने महामृत्युंज मंत्र के रहस्यमयी अर्थ के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि जब हम अपनी तीसरी आंख पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो हमारी दोनों आंखों के पीछे है, यह हमें अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को महसूस करने की ताकत देती है और इसके द्वारा हम जीवन में खुशी,आन्तरिक सन्तुष्टि और शांति महसूस करते हैं। और इस बात को हम सभी जानते हैं कि इस भौतिकतावादी संसार में किसी भी व्यक्ति के लिए अमरता प्राप्त करना संभव नहीं है, लेकिन भगवान शिव अपनी शक्तियों से हमारी मृत्यु के समय को कुछ समय के लिए बढ़ा सकते हैं।

महामृत्युंजय जाप की उत्पत्ति

वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने महामृत्युंजय मन्त्र के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि पुराणों और वैदिक प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का विशेष उल्लेख मिलता है।महामृत्युंजय मन्त्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का अमोघ महामन्त्र है। और इस मन्त्र का जाप कोई भी व्यक्ति किसी भी महासिद्ध योग के पर्व काल से कर सकता है, संयोग से इस बार 4 फरवरी को पड़ने वाली महासिद्ध दायक सोमवती मौनी अमावस्या से भी इस महामन्त्र का जाप आरम्भ किया जा सकता है और 4 मार्च को पड़ने वाली महाशिवरात्रि, या किसी भी शुक्ल पक्ष के सोमवार से इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप आरम्भ कर सकते हैं।


महामृत्युंजय मन्त्र के लाभ

महामृत्युंजय मंत्र व्यक्ति को न केवल मृत्यु के भय से मुक्ति दिला सकता है, बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता है। इस महामृत्युंजय महामंत्र का सवा लाख मंत्रों का निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। पंड़ित प्रमोद गौतम ने बताया कि इस महामृत्युंजय महामंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है,और साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी सबसे अधिक फायदेमंद है।

महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय इन नियमों का ध्यान रखें
महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें। उसके उच्चारण ठीक ढंग से यानि की शुद्धता के साथ करें और इसके साथ ही इस महामंत्र का जाप एक निश्चित संख्या निर्धारण कर लें और अगले दिन अगर इनकी संख्या बढ़ जाए तो फिर कम न करें। महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करें और इसके साथ ही इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप उसी जगह करे जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युंजय यंत्र रखा हो, कम से कम एक माला प्रतिदिन करें या पांच, सात या फिर ग्यारह माला का जाप प्रतिदिन करें।


महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं। जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि देवताओं के प्रतीक हैं। उन तैंतीस कोटि के देवताओं में 8 वस, 11 रुद्र और 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहित होती है।

मंत्र इस प्रकार है-

"ॐ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात"

महामृत्युंजय मंत्र का अक्षरश: अर्थ

हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं। जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग हम जीवन व मृत्यु के बंधन से मुक्त हों।