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आज है मोक्षदायिनी मार्गशी​र्ष पूर्णिमा, जानें इसका महत्व व पूजन विधि

इस दिन दान पुण्य आदि शुभ कार्यों का 32 गुना फल प्राप्त होता है, इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

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आगरा

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suchita mishra

Dec 11, 2019

Purnima

Purnima

आगरा। हर शख्स की तमन्ना होती है कि उसे जल्द से जल्द जन्म मरण के इस संसार से मुक्ति मिले। इसके लिए वो ईश्वर की भक्ति, दान पुण्य आदि अच्छे कर्म करता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि इस लिहाज से मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मोक्षदायिनी माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सच्चे दिल से भगवान का पूजन करने से व्यक्ति के लिए इसी जन्म में मोक्ष का मार्ग खुल जाता है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 12 दिसंबर 2019 को है।

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ऐसे करें भगवान नारायण का व्रत व पूजन
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण का व्रत व पूजन किया जाता है। ऐसा करने से परिवार के संकट दूर होते हैं और सुख संपत्ति प्राप्त होती है। व्रत व पूजन के लिए सुबह उठकर भगवान का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। स्नान के समय जल में तुलसी के पत्ते डालें फिर जल को मस्तक पर लगाकर भगवान को याद कर प्रणाम करें। इसके बाद स्नान करें। पूजा स्थान पर भगवान की तस्वीर स्थापित करें। उन्हें याद करें फिर फूल, फल आदि अर्पित करें। इसके बाद पूजा स्थान पर वेदी बनाएं और हवन के लिए उसमे अग्नि प्रज्जवलित करें। ओम नमो भगवते वासु देवाय स्वाहा इदं वासु देवाय इदं नमम बोलकर हवन सामग्री से 11, 21, 51, या 108 आहुति दें। तेल, घी और बूरा आदि की आहुति दें। हवन खत्म होने के बाद भगवान का ध्यान करें। रात को नारायण भगवान के मूर्ति के पास ही सोएं। दूसरे दिन स्नान करें और पूजा कर जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मण को भोजन कराएं। अगर व्रत रखना चाहते हैं तो दिन में जल और फल ग्रहण करके व्रत करें और अगले दिन दान-दक्षिणा देकर अपना व्रत खोलें।

शुभ कार्यों का 32 गुना मिलता फल
कहा जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किए गए शुभ कार्यों का 32 गुना फल मिलता है, इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। यदि ऐसा न कर सकें तो जल में तुलसी का पत्ता डालकर स्नान करें। स्नान के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।