डॉ. हेमलता ने संस्था को इस बेहतर प्रयास के लिए बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के प्रयास जैव विविधता को भी बढाएंगे। जो बृज क्षेत्र में विलुप्त प्रजातियों को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए वरदान साबित होगा। संस्था की संस्थापिका डॉ. रिचा श्रीवास्तव ने संस्था के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मियावाकी तकनीक एक जापानी तकनीक है, जिसमें हम एक चोटे से क्षेत्र में मिनी फारेस्ट तैयार कर सकते हैं। इसमें दो पौधों के बीत करीब डेढ़ से ढ़ाई फीट की दूरी रखी जाती है। हमने लगभग एक माह पहले जमीन को तैयार करना शुरु किया और मात्र 1800 स्क्वार फीट में 250 पौधे रोपे हैं। जिसमें कदम, पाकड़, इमली, नीम के अलावा फलदार पौधों शहतूत, जामुन, नींबू, अमरूद, अनार आदि के भी पौधे हैं, जिससे पक्षियों को घर के साथ भोजन भी मिल सके।
इस मौके पर एक पहल संस्था के बच्चों द्वारा पानी बचाओ पर नाटक का मंचन किया गया। सबी बच्चों के प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। संचालन कोषाध्यक्ष अनुपम बोहरा ने किया। इस मौके पर मुख्य रूप से संस्था की सचिव तपस्या बंसल, आगरा क्लब के सचिव सुबीर घोष, रमन भल्ला, विदित बंसल, तान्या बंसल, कौशल बोहरा, डॉ. अनुराग गुप्ता, ऋतु खंडेलवाल, मोना सिंह, मीनाक्षी किशोर, मनीष राय, शुभांगी आदि उपस्थित थे।