
krishna
एक सन्त कुएं पर स्वयं को लटका कर ध्यान करता था और कहता था जिस दिन यह जंजीर टूटेगी मुझे ईश्वर मिल जाएंगे। उनसे पूरा गांव प्रभावित था। सभी उनकी भक्ति, उनके तप की तारीफें करते थे। एक व्यक्ति के मन में इच्छा हुई कि मैं भी ईश्वर दर्शन करूँ।
वह रस्सी से पैर को बांधकर कुएं में लटक गया और कृष्ण जी का ध्यान करने लगा। जब रस्सी टूटी, उसे कृष्ण ने अपनी गोद में उठा लिया और दर्शन भी दिए। तब व्यक्ति ने पूछा- आप इतनी जल्दी मुझे दर्शन देने क्यों चले आये जबकि वे संत महात्मा तो वर्षों से आपको बुला रहे हैं।
कृष्ण बोले, वो कुएं पर लटकते जरूर हैं किंतु पैर को लोहे की जंजीर से बांधकर। उसे मुझसे ज्यादा जंजीर पर विश्वास है।
तुझे खुद से ज्यादा मुझ पर विश्वास है, इसलिए मैं आ गया। आवश्यक नहीं कि दर्शन में वर्षों लगें। आपकी शरणागति आपको ईश्वर के दर्शन अवश्य कराएगी और शीघ्र ही कराएगी। प्रश्न केवल इतना है आप उन पर कितना विश्वास करते हैं।
सीख
ईश्वर सभी प्राणियों के हृदय में स्थित हैं। शरीररूपी यंत्र पर चढ़े हुए सब प्राणियों को, वे अपनी माया से घुमाते रहते हैं, इसे सदैव याद रखें और बुद्धि में धारण करने के साथ व्यवहार में भी धारण करें।
प्रस्तुतिः दीपक डावर
Published on:
30 Jul 2019 06:03 am
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