वंदना सिंह ने बताया कि उनकी संस्था लीडर्स आगरा ने कामकाजी महिलाओं को सिलाई मशीन देकर स्वरोजगार प्रदान करने का प्रयास किया है। जब एक किटी पार्टी में शालिनी वर्मा से बात हुई तो लगा कि पोशाक बनाने की उनकी कला और हुनर को सार्थक परिणाम नहीं मिल रहे है। संस्था ने उनकी बेहतरीन कला को भरपूर सहयोग दिया।
शालिनी वर्मा के अनुसार वो गृहस्थी और परिवार के कार्यों के बाद शौकिया भगवान की पोशाक बनाने लगीं। कपड़े का उपयोग न कर मात्र रिबिन, मोती, बांसुरी, वेस्टर्न कैप, नग, मुकुट से बेहतरीन सजावट वाली पोशाकों का निर्माण शुरू किया। इन पोशाकों को बनाने में सिलाई मशीन का बिल्कुल भी उपयोग नहीं करती है। सारा कार्य हाथ से ही करती हैं। एक पोशाक बनाने में 3 से 4 घंटे लग जाते हैं। जल्द ही लोगों की जानकारी में आते ही पोशाक लोग खरीदने लग गए। कान्हा की नगरी वृंदावन से भी लोगों की पसंद की वेस्टर्न स्टाइल पोशाक की डिमांड आने लग गयी। शालिनी वर्मा उनको प्रोत्साहन देने में सबसे बड़ा सहयोग वंदना सिंह और उड़ान प्रोजेक्ट का मानती है।
लीडर्स आगरा के महामंत्री और पूर्व पार्षद सुनील जैन ने बताया कि ऐसे शिल्पी, हुनरमंद को आगरा महोत्सव में रावी इवेंट्स के मनीष अग्रवाल ने स्टॉल देने की पेशकश की है। जल्दी ही संस्था शालिनी वर्मा के उत्पादों को सूक्ष्म लघु उद्योग विभाग से पंजीकृत करा कर शिल्पी कार्ड बनवाएगी, ताकि आगरा की इस शिल्पी महिला के हथकरघा उत्पाद को देश के और स्थानों तक पहुंचाया जा सके।