
भाजपा शासित नगर निगम में पार्षदों ने किया हंगामा, जानिए क्या थी वजह
आगरा। नगर निगम में पिछले कुछ दिनों से पार्षदों और नगर विधायकों के बीच तनातनी का माहौल चल रहा है। सोमवार को पार्षदों का गुस्सा सातवे आसमान पर उस समय चढ़ गया, जब वार्डों में चल रहे विकास कार्य की शिलान्यास पट्टिकाओं पर पार्षदों का नाम छोटे अक्षरों में लिखे थे और सांसदों-विधायकों का नाम बड़े अक्षरों में लिखे थे। नगर निगम के पार्षद एकत्रित होकर नगर आयुक्त कक्ष के सामने धरने पर बैठ गए। बात यहीं खत्म नहीं हुई, पार्षदों ने नगर आयुक्त अरुण प्रकाश के कक्ष के बाहर जमकर मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। धरने में सभी दलों के पार्षद शामिल थे।
पार्षदों ने लगाए अनियमितता के आरोप
नगर निगम में सोमवार की दोपहर सभी दलों के पार्षद इकट्ठा हुए। पार्षदों ने नगर आयुक्त पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए उनके कार्यालय के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच कुछ पार्षद उग्र हो गए और निगम मेें तोडफ़ोड़ भी कर दी। नगर आयुक्त उस समय अपने कार्यालय पर मौजूद नहीं थे। पार्षद नगर आयुक्त अरुण प्रकाश को ज्ञापन देने और अपना विरोध जताने के लिए अड़े थे। इस पर संयुक्त नगर आयुक्त विनोद कुमार गुप्ता पार्षदों का ज्ञापन लेने पहुंचे। पार्षदों ने उन्हें वापस भेज दिया।
नगर आयुक्त के ना आने से फूट आक्रोश
पार्षदों के आक्रोश को शांत करने के लिए नगर आयुक्त अरुण प्रकाश सामने नहीं आए तो पार्षदों ने उनके नाम की पटिटका को उखाड़ दिया। पार्षदों द्वारा हंगामा की जानकारी होने पर नगर आयुक्त अरुण प्रकाश नगर निगम पहुंचे। जैसे ही नगर आयुक्त पहुंचे पार्षदों ने उन्हें घेर लिया। पार्षदों की बात सुनने और ज्ञापन लेने के बाद नगर आयुक्त ने पार्षदों को आश्वासन दिया कि पार्षदों के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जाएगा। शिलान्यास पट्टिका पर महापौर एवं पार्षदों का नाम ही दिया जाएगा। इसके बाद पार्षदों का आक्रोश शांत हुआ।
Published on:
01 Oct 2018 05:35 pm
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