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आगरा। ताजमहल के शहर आगरा में पेयजल, सीवर, नाली, निर्माण और सॉलिड वेस्ट में हुये 500 करोड़ रुपये के घोटाले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जांच के आदेश दिये हैं। एनजीटी ने जिलाधिकारी, राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान नीरी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उच्च अधिकारी की कमेटी गठित की है। एनजीटी के इस आदेश के बाद अफरा तफरी मची हुई है। केस के वादी शबी हैदर जाफरी ने बताया कि ये पहली जीत है।
1992 में याचिका सुप्रीम कोर्ट में हुई थी दायर
आगरा के पर्यावरणविद् व समाजसेवी डीके जोशी ने वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें पेयजल, सीवर, नाली निर्माण और सॉलिड वेस्ट में हुये 500 करोड़ रुपये के घोटाले के साक्ष्य प्रस्तुत किये गये थे। इस याचिका के बाद 19 नवंबर 1999 को सुप्रीम कोर्ट की मॉनीटरिंग कमेटी का गठन हुआ था। 31 मार्च 2017 को ये केस सुप्रीम कोर्ट से एनजीटी में ट्रांसफर हो गया।
मची हुई है खलबली
एनजीटी के चेयरपर्सन एके गोयल की अध्यक्षता में शुक्रवार को केस की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की जांच के आदेश दिए। इस आदेश से नगर निगम, जल संस्थान, जल निगम, स्वास्थ्य विभाग, यूपीपीसीबी में खलबली मच गई है।
ये बोले शबी हैदर जाफरी
केस के वादी शबी हैदर जाफरी से पत्रिका टीम ने बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि एनजीटी ने इस मामले में जांच के आदेश दिये हैं, ये पहली जीत है। इस मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि ये आगरा के लिए ये सबसे बड़ा घोटाला रहा। उन्होंने बताया कि पर्यावरणविद् व समाजसेवी डीके जोशीने भी सुनवाई के दौरान कई बार सीबीआइ जांच की मांग की थी। अक्टूबर, वर्ष 2016 में डीके जोशी का निधन हो गया।
ये है पूरा मामला
शबी हैदर जाफरी ने बताया कि 26 साल पहले हुये 500 करोड़ रुपये के इस घोटाले में आरोपित कई प्रशासनिक सहित अन्य विभागों के अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिनमें से कई अधिकारियों का निधन हो चुका है।
Published on:
14 Oct 2018 11:41 am
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