श्याम बोहरा ने जेल जाने से पहले पुलिस को कई राज बताए थे। एसएसपी अमित पाठक को करीब 50 लोगों के नाम बताए थे जो रोजाना करीब एक करोड़ रुपये से अधिक का सट्टा लगाते थे। पुलिस ने केस को मजबूत बनाने के लिए कई दस्तावेज कोर्ट में पेश किए जिसके बाद श्याम बोहरा की जमानत भी नामंजूर हो गई। जमानत नामंजूर होने के बाद पुलिस उन सटोरियों की तलाश कर रही थी जो श्याम बोहरा के साथी थे। लेकिन, इससे पहले श्याम बोहरा की डायरी के कागजात लीक हो गए। यह गोपनीय कागजात आखिर कैसे लीक कैसे हो गए? क्या जांच में शामिल अन्य सटोरियों व व्यापारियों को खौफ दिखाने को ये वायरल किए गए हैं? ऐसा माना भी जा रहा है।
बता दें कि बुकी श्याम बोहरा को सात जुलाई की रात को छत्ता पुलिस ने यमुना किनारा रोड से गिरफ्तार किया था। बोहरा के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने और पुलिस टीम पर गाड़ी चढ़ाने के साथ आइटी एक्ट की धारा में मुकद्मा दर्ज हुआ था। पुलिस ने रिमांड पर लेकर बोहरा से पूछताछ की थी। वोहरा ने 67 सटोरियों व व्यापारियों के नाम खोले थे। पुलिस ने यह सार्वजनिक भी किए थे। उस समय लग रहा था कि पुलिस इन सभी पर जल्द शिकंजा कसेगी, लेकिन यकायक पुलिस ठंडी पड़ गई। पुलिस अभी तक इनमें से किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। श्याम वोहरा के केस की विवेचना डायरी से पर्चों की फोटोस्टेट वायरल हो गई हैं। किसी ने साजिश के तहत इनको वायरल किया है या फिर बोहरा से जुड़े लोगों में खौफ पैदा करने के लिए? यह बात चर्चाओं का विषय बनी हुई है। सीओ छत्ता रितेश कुमार सिंह का कहना है कि पर्चे कैसे वायरल हुए, यह जानकारी की जा रही है। कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में पर्चे भेजे गए थे। अभी तो यह पेशी में भी नहीं आए हैं। जल्द ही जांच कर इस बात की जानकारी की जाएगी कि किसने और क्यों यह पर्चे वायरल किए हैं। केस डायरी अत्यधिक गोपनीय होती है और यह सिर्फ विवेचक के पास ही रहती है। केस से जुड़ी शुरुआत से लेकर आखिरी तक जांच की पूरी जानकारी इसमें होती है। केस डायरी थाना प्रभारी से होते हुए सीओ की पेशी में भेजी जाती है। इतने गोपनीय दस्तावेज के गायब होने से पुलिस की साख भी खराब हो रही है।