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समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद चाचा शिवपाल के नाम अखिलेश के समर्थक ने लिखा खुला खत, सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

locationआगराPublished: Sep 06, 2018 01:11:44 pm

Submitted by:

suchita mishra

अखिलेश यादव के समर्थक ने इस पत्र में अखिलेश यादव के बचपन की यादों को ताजा करते हुए शिवपाल यादव को इमोशनल करने की कोशिश की है।

akhiles shivpal

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आगरा। शिवपाल यादव द्वारा समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के गठन के बाद से समाजवादी पार्टी में खलबली मच गई है। इस मोर्चे में शिवपाल ने उन लोगों को आमंत्रित किया है जिनकी सपा में अनदेखी की जा रही है। ऐसे में समाजवादी पार्टी दो गुटों में बंट गई है। एक गुट शिवपाल समर्थक है तो दूसरा खेमा अखिलेश यादव का समर्थक है। जानकारों का मानना है कि यदि शिवपाल आगामी लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी बनाकर प्रत्याशी उतारते हैं तो सपा को काफी नुकसान होगा। इसको लेकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक समर्थक ने चाचा शिवपाल के नाम सोशल मीडिया पर एक इमोशनल पत्र लिखा है जो इन दिनों वायरल हो रहा है।
जानिए क्या लिखा है पत्र में
चाचा प्रणाम। आपने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाया है। पता नहीं यह मोर्चा एक पार्टी है या समाजवादी पार्टी के असंतुष्ट लोगों को एक प्लेट्फ़ॉर्म देने का माध्यम है? चाचा एक ख़बर आयी है कि यह मोर्चा सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। चाचा यह ख़बर तो दुखदायी है। आपने अखिलेश भैया को अपने कंधे पर बिठा कर स्कूल पहुंचाया है, भैया आज भी जब मौक़ा मिलता है, आपके पैर छूते हैं। अगर वास्तव में आप 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान कर रहे हैं तो आप अपने भतीजे को, जो आपके बेटे के समान है, उसे हराना चाह रहे हैं। क्या आपका दिल इतना छोटा है कि आप अपने भतीजे की बर्बादी में अपना शकुन खोज रहे हैं?
चाचा आपने तो अपने भतीजे के पिता की रक्षा के लिए साइकिल चलायी। आपने अपने भतीजे को अपनी गोद में खिलाया। आप भी तो चाहते थे कि आपका भतीजा ध्रुव तारे की तरह चमके तो आख़िर ऐसा क्या हुआ कि आप अपने भतीजे की बर्बादी की कामना कर रहे हैं। चाचा आप यह अच्छी तरह जानते हैं कि आपके 80 सीटों पर चुनाव लड़ने पर अगर किसी का नुक़सान होगा तो केवल और केवल आपके उस भतीजे का नुक़सान होगा जो आदित्य से पहले आपके बेटे की तरह है। क्या आप अपने भतीजे को हारते हुए देखना चाहते हैं? चाचा आख़िर आप चाहते क्या हैं? समाजवादी पार्टी पर क़ब्ज़ा?
चाचा ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि बाप का उत्तराधिकारी बेटा ही होता है भारतीय समाज में। अगर आपको लगता है कि नेता जी का उत्तराधिकार आपको मिलना चाहिए तो यह आपकी भूल है। अगर ऐसा हुआ तो भारतीय संस्कृति की अवहेलना होगी। अब रही बात आपके सम्मान की तो चाचा ग़लतियां आपसे भी हुई हैं। आपको पता है कि अखिलेश भैया अमर सिंह को अपने परिवार का दुश्मन मानते हैं और आप उनको गले से लगाकर घूमते हैं। मैं मानता हूं कि अमर सिंह जी का आपसे बहुत स्नेह है, पर चाचा यह तो समझिए जो व्यक्ति अखिलेश भैया को आपसे ज़्यादा मानता था, आज वो उनसे सबसे ज़्यादा नफ़रत करता है। वो व्यक्ति आपके परिवार का शुभचिंतक कैसे हो सकता है? चाचा वह या उसके जैसा कोई व्यक्ति आपके परिवार या ग़रीब गुर्बो का शुभचिंतक हो ही नहीं सकता। माना अखिलेश भैया आपको सम्मानजनक पद नहीं दे रहे हैं, क्या चाचा से बड़ा भी कोई पद होता है?
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चाचा आप अखिलेश भैया के पिता तुल्य चाचा हैं जिसकी गोद में देश का भविष्य खेला है। आपका भतीजा जिसे आपने संस्कार दिया है उसकी तरफ़ पूरा देश देख रहा है। क्या यह किसी पद से कम है? चाचा मुझे पता है आपका हृदय बहुत पवित्र और साफ़ है, आपको दुःख है कि जिस भतीजे को गोद में खिलाया वही असम्मान कर रहा है। चाचा सोचिए आपका भतीजा भोला है। नासमझ है, पर जब वही भतीजा भविष्य में देश का प्रधानमंत्री बनकर आपके पैरों को छुएगा तो चाचा का सीना 56 इंच का होगा कि नहीं होगा। मुझे पता है जितने लोग समाजवादी पार्टी में नाराज़ हैं सब आपकी बहुत इज़्ज़त करते हैं। आप अगर सबको कहें कि आपके भतीजे की सारी नादानियों को माफ़ करते हुए उसको मज़बूत करें तो लोग क्या आपकी बात नहीं मानेंगे? चाचा बड़ा दिल करिए। आप नि:स्वार्थ भाव से भतीजे को मज़बूत करिए। यक़ीन मानिए आपका भतीजा इतना दिलदार है कि आपके क़दमों में अपना सर्वस्व रख देगा। भतीजे को अच्छी तरह पता है कि उसको किस चाचा के कंधे पर चढ़कर भव पार करना है। चाचा एक बार फिर अपने भतीजे को अपने कंधे पर बैठा कर 2019 का दरिया पार कराइए। यक़ीन मानिए आपका नाम इतिहास में वासुदेव के रूप में याद किया जाएगा। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो हो सकता है कि आप अपने भतीजे का 10 फीसदी नुक़सान कर लें, पर आपकी तीस साल की तपस्या और त्याग का इतिहास में नाम मिट जाएगा। मेरी मानिए कल अखिलेश भैया के पास जाइए और बोलिए बेटा तू बहुत ज़िद्दी है, चल कंधे पर बैठ जा तुझे दिल्ली पहुंचाता हूं। यक़ीन मानिए भतीजा आंसुओं के साथ आपकी गोद में लिपट जाएगा।
आपका “-समाजवादी शुभचिंतक जो परिवार को बिखरते हुए एवं पिछड़ों दलितों अल्पसंख्यक को बेसहारा छोड़ते नहीं देखना चाहता, आप का अपना
सुनील यादव, कौशाम्बी।
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