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Paralysis: शारीरिक बीमारी नहीं है लकवा, मालिश के बजाय ये तरीका अपनाएं जल्दी होगी रिकवरी, जानिए एक्सपर्ट से बीमारी की पूरी जानकारी

पैरालिसिस में शरीर के एक हिस्से की कार्यक्षमता खत्म हो जाने के कारण लोग इसे शारीरिक परेशानी समझने लगते हैं और मालिश वगैरह के चक्कर में पड़ जाते हैं।

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आगरा

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suchita mishra

Jul 19, 2019

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आमतौर पर पैरालिसिस यानी लकवा को लोग शारीरिक बीमारी समझते हैं। दरअसल पैरालिसिस में शरीर के एक हिस्से की कार्यक्षमता खत्म हो जाने के कारण लोग इसे शारीरिक परेशानी समझने लगते हैं और मालिश वगैरह के चक्कर में पड़ जाते हैं। जबकि सच्चाई ये है कि पैरालिसिस दिमाग से जुड़ी समस्या है। जब तक वो समस्या ठीक नहीं होगी, शरीर के उस हिस्से में भी जान नहीं आएगी। जैसे जैसे ब्रेन में रिकवरी होने लगेगी, मरीज की हालत खुद सुधरने लगेगी। न्यूरो सर्जन डॉ. अरुण सिंह से जानते हैं इसके बारे में।

ब्रेन स्ट्रोक के समय होता पैरालिसिस
आपने देखा होगा कि पैरालिसिस अटैक तभी पड़ता है जब मरीज को ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज होता है। दरअसल ब्रेन स्ट्रोक एक एमरजेंसी समस्या है। इसे ब्रेन अटैक भी कहा जाता है। ब्रेन स्ट्रोक में मरीज के दिमाग की किसी नस में क्लॉटिंग या ब्लॉकेज होने के कारण रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। चूंकि ब्रेन से ही शरीर के तमाम हिस्से नियंत्रित होते हैं, इसलिए ब्रेन स्ट्रोक का असर शरीर के हिस्सों पर पड़ता है।

ब्रेन स्ट्रोक और हेमरेज में अंतर
न्यूरो सर्जन डॉ. अरुण सिंह कहते हैं कि कुछ लोग ब्रेन स्ट्रोक और हेमरेज को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं। ऐसे लोगों को जानकारी होनी चाहिए कि ब्रेन की कोई नस फट जाती है तो उसे ब्रेन हेमरेज कहा जाता है। ब्रेन हेमरेज भी ब्रेन स्ट्रोक का ही हिस्सा है, लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के अंतर्गत क्लॉटिंग और हेमरेज दोनों आते हैं। स्ट्रोक के 80 फीसदी मामले क्लॉटिंग के होते हैं जबकि 20 फीसदी हेमरेज के। हेमरेज बेहद गंभीर स्थिति है, इसके मरीज कई बार कोमा में चले जाते हैं।

ब्रेन स्ट्रोक ऐसे करता है शरीर को प्रभावित
हमारे ब्रेन के दो हिस्से हैं। एंटीरियर और पोस्टीरियर, इन्हें सामान्य भाषा में अगला और पिछला हिस्सा कहते हैं। अगला हिस्से के दो भाग हैं, दायां और बायां। दोनों हिस्से शरीर के अपोजिट हिस्से को नियंत्रित करते हैं। यानी ब्रेन के दाएं हिस्से से शरीर का बायां हिस्सा और बाएं हिस्से से शरीर का दायां हिस्सा प्रभावित होता है। यदि एंटीरियर के दाएं हिस्से में समस्या होगी तो शरीर के बाएं हिस्से में पैरालिसिस होगा और बाएं हिस्से में समस्या होगी तो दाएं हिस्से में लकवा होगा। वहीं पोस्टीरियर यानी ब्रेन का पिछला हिस्सा स्पीच, आंख के अलावा शरीर को बैलेंस रखने का काम करता है। इस हिस्से की नस में समस्या आने पर मुंह टेढ़ा होना, आवाज लड़खड़ाना और आंखों में समस्या आती है।

लक्षणों से करें स्ट्रोक की पहचान
यदि आप अपने आसपास किसी भी शख्स में पैरालिसिस के लक्षण जैसे शरीर के एक हिस्से में कमजोरी, हाथ पैरों में सुन्नपन, आवाज लड़खड़ाना, बात समझने में परेशानी, मुंह, आंख आदि में टेढ़ापन आदि देखें तो समझ जाइए कि ये ब्रेन स्ट्रोक की समस्या है और बगैर देर किए उसे अस्पताल ले जाएं।

जितनी जल्दी इलाज, उतना आराम
ब्रेन स्ट्रोक में मरीज को जितनी जल्दी इलाज मिलेगा, उतनी जल्दी और अच्छी उसकी रिकवरी होगी। स्ट्रोक की कुछ दवाएं ऐसी हैं जो शुरू के चार घंटे के अंदर ही असर करती हैं। ऐसे में बिल्कुल लापरवाही न करें और मरीज को जल्द से जल्द इलाज दिलाएं। यदि मरीज बेहोश हो गया हो तो उसे कुछ भी खिलाने की कोशिश न करें।

ये हैं स्ट्रोक के कारण
मोटापा, हृदय रोग, डायबिटीज, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल आदि।

मालिश से बेहतर फिजियोथैरेपी
डॉ. अरुण सिंह के मुताबिक पैरालिसिस के लिए मालिश आदि के चक्कर में न पड़ें, मरीज का सही से इलाज कराएं ताकि उसके ब्रेन की रिकवरी हो सके। डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाएं दें। दवाओं के साथ साथ किसी फिजियोथैरेपिस्ट की मदद से एक्सरसाइज करवाएं।