योगीजी देखिए क्या ऐसे पढ़ेंगे और आगे बढ़ेंगे बच्चे, ऐसा है सरकारी स्कूलों का हाल
बेसिक शिक्षा पर शासन और प्रशासन गम्भीर नहीं, प्राथमिक शिक्षक संघ ने उठाई समस्याएं

आगरा। एक ओर तो कान्वेंट की तर्ज पर बेसिक शिक्षा को बदलने की कवायद चल रही है। दूसरी ओर शिक्षा अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नया सत्र अप्रैल से शुरू हो चुका है लेकिन, आगरा जनपद के विद्यालयों में न तो बैठने के लिए मेज-बेंच, न पढ़ने के लिए किताबें उपलब्ध कराई गई हैं। आगरा के स्कूलों की हालत पर चिंता व्यक्त की है प्राथमिक शिक्षक संघ के नगर मंत्री राजीव वर्मा ने।
खुले आसमान में पढ़ रहे बच्चे
प्राथमिक शिक्षक संघ ने नगर मंत्री राजीव वर्मा ने कहा कि अगर नगर क्षेत्र आगरा के विद्यालयों की ही बात करें तो 166 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय नगर क्षेत्र के अंदर हैं। उनमें से आधे विद्यालयों में अभी तक विद्युत व्यवस्था नहीं है, पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां पर बिल्डिंग नहीं है। छात्रों को खुले आसमान के नीचे बैठाया जाता है। रही बात पढ़ाने की तो पढ़ाने के लिए जो शिक्षक चाहिए मात्र 225 शिक्षक आगरा नगर क्षेत्र को दिए गए हैं। जबकि प्रत्येक विद्यालय में 5 शिक्षक होनी चाहिए। लेकिन, हर विद्यालय में लगभग 1 शिक्षक है। सफाई के नाम पर शिक्षक स्वयं सफाई कर रहे हैं। किसी सरकारी कर्मचारी की व्यवस्था नहीं है, वही शिक्षक है वही सहायक है, वही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है।
शौचालय नहीं लड़कियां पानी नहीं पीतीं
जिन विद्यालयों में शौचालय नहीं हैं वहां लड़कियां पानी नहीं पीती हैं। क्योंकि उनको शौचालय जाना पड़ेगा। सवाल यह उठता है क्या इन सब असुविधा के बीच कॉन्वेंट विद्यालय का अमलीजामा विद्यालय पहन सकेंगे? क्या बिना विद्युत और पानी के विद्यालय चल सकेंगे? क्या बिना भवन छात्र बैठ सकेंगे?
क्या बिना सफाई कर्मचारी के शौचालय एवम विद्यालय प्रांगण साफ हो सकेंगे? इस संदर्भ में प्राथमिक शिक्षक संघ आगरा के नगर मंत्री राजीव वर्मा के नेतृत्व में अनेक बार जिलाधिकारी महोदय एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय को ज्ञापन दिया लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को कोई सुध नहीं। आज तक इस विषय पर कोई सुधार नहीं किया गया। सारे दावे खोखले साबित नज़र आए, एक ओर एम डी एम व्यवस्था के तहत विद्यालयों को पांच छह महीने से कन्वर्जन कास्ट, रसोईया मानदेय एवं खाद्यान्न उपलब्ध नहीं कराया गया है, शिक्षक कैसे और कहां से बनवाएं यह समझ नहीं आता है? अगर कहीं कोई एमडीएम में कमी पाई जाती है तो सबसे पहले शिक्षक को निलंबित कर दिया जाता है।

बीएलओ की डयूटी से नहीं हुए कार्यमुक्त
इसके साथ ही सभी शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ में लगा रखी है। शिक्षक संघ ने बार-बार विरोध के बावजूद शिक्षकों को बीएलओ कार्य से मुक्त नहीं किया गया है। जून का महीना चल रहा है शिक्षक पूरा समय बीएलओ में लगा रहे हैं जैसे जैसे लोक सभा निर्वाचन नजदीक आता जा रहा है शिक्षक बीएलओ कार्य में लगे रहेंगे। प्राथमिक शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा है कि शिक्षकों से अगर गुणवत्ता चाहिए तो हमसे गैर शैक्षणिक कार्य हटाने पड़ेंगे। समय रहते किताबें उपलब्ध, फर्नीचर की व्यवस्था, अच्छी बिल्डिंग देनी पड़ेगी, विद्युत व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था, स्टॉफ की कमी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की कमी इन सब को दूर करना पड़ेगा। तभी जाकर इन विद्यालयों से हम कॉन्वेंट की तर्ज पर अथवा मॉडल स्कूल की तर्ज पर कोई उम्मीद कर सकेंगे। वहीं संघ की संयुक्त मंत्री निधि श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रत्येक विद्यालय में पर्याप्त शिक्षकों का होना महत्वपूर्ण है साथ ही सभी विद्यालयों में मूल भूत सुविधाएं छात्र हित में जरूरी हैं।
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