
आगरा। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य का चुनाव जीते एटा के हरनाथ सिंह यादव भारतीय जनता पार्टी का ‘यादव चेहरा’ हो सकते हैं। उनका उपयोग लोकसभा चुनाव 2019 में किया जा सकता है। एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद जिलों में उनका यादवों से गहरा नाता है। इन जिलों में यादव समाज ने समाजवादी पार्टी को जिताने का काम किया है। इसी कारण इन्हें सपा का गढ़ कहा जाता है। उनके समर्थक कह रहे हैं कि यादव बहुल इलाकों में समाजवादी पार्टी की साइकिल पंक्चर करने का काम हरनाथ सिंह यादव करेंगे।
एमएमलसी के रूप में नौ जिलों में पकड़ बनाई
हारनाथ सिंह यादव ने आगरा खंड स्नातक सीट से विधान परिषद सदस्य रहे हैं। कई बार चुनाव लड़ा है। इसके लिए वे गांव-गांव गए हैं। आगरा खंड स्नातक सीट में आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस , एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा और फर्रुखाबाद जिले आते हैं। इनमें से पांच जिलों में यादवों का दबदबा रहता है। भारतीय जनता पार्टी यहां पार नहीं पा सकी है। पिछला विधानसभा चुनाव इसका अपवाद है। इस बारे में पूछे जाने पर हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि उन्होंने गांवों में बहुत काम किया है। आगरा खंड स्नातक सीट से जुड़े हर गांव में 50-100 लोगों को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं।
गठबंधन पर भी होगा प्रहार
राजनीतिक पंड़ितों का मानना है कि यदि लोकसभा चुनाव 2019 में सपा और बसपा का गठबंधन बनता है। तो बीजेपी के पास इस गठबंधन का तोड़ मौजूद होगा। गौरतलब है कि सपा के पूर्व विधायक और उनके एमएलसी पिता से अखिलेश यादव की दूरियां किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में भाजपा यहां सपा की कमजोर कड़ी पर हमले की रणनीति को अमलीजामा पहना चुकी है।
लोकसभा की तैयारियों के लिए मास्टर स्ट्रोक
राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सदस्यों को जिताकर लोकसभा 2019 का दांव खेला है। योगी आदित्यनाथ के इस कदम को अखिलेश यादव की साइकिल को पंक्चर करने के लिए मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। यादवों के गढ़ में सेंधमारी करने के लिए हरनाथ सिंह यादव को राज्यसभा पहुंचाना योगी सरकार की मंशा व्यक्त करता है। हरनाथ सिंह से यादवों के 12 जिले प्रभावित होंगे जो लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है।
Published on:
24 Mar 2018 12:03 pm
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