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आगरा। आरएसएस के नाम से प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक अभिनव प्रयोग करता है। यह है गुरु दक्षिणा कार्यक्रम। संघ के स्वयंसेवक अपनी क्षमता से कहीं अधिक धन अर्पण करते हैं। इसी धन से संघ का खर्चा चलता है। तमाम तरह के सेवा कार्य भी इसी गुरु दक्षिणा से चलाए जाते हैं। पूरी दुनिया में इस तरह से कहीं भी काम नहीं होता है।
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गुप्त रूप से दान
यह कहना है कि राष्ट्रीय सेवा भारती के महानगर प्रमुख अवधेश कुमार का। वे सेवा प्रसून मासिक पत्रिका के संपादक भी हैं। उन्होंने कहा कि संघ में साल में एक बार गुरु दक्षिणा कार्यक्रम होता है। स्वयंसेवक गुप्त रूप से धन अर्पण करते हैं। किसी को भी नहीं पता होता किसने क्या दिया है। समाज में देखा जाता है कि धनाढ्य लोग दान करते हैं तो अपने नाम का बीजक लगवाते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में क्या अमीर, क्या गरीब, सब बराबर हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक तन और मन से समर्पित रहकर गुरु दक्षिणा करते हैं।
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भगवा ध्वज को गुरु बनाया
शास्त्रीपुरम (सिकंदरा) की केशव शाखा का गुरु दक्षिणा कार्यक्रम राधे गार्डन शास्त्रीपुरम में हुआ। इस दौरान अवेधश कुमार ने गुरु की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि लोगों ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार से कहा था कि आप ही गुरु बन जाएं। डॉ. हेडगेवार ने कहा था कि व्यक्ति में कभी भी बुराई आ सकती है। इसलिए सोच-समझकर भगवा ध्वज को गुरु बनाया गया, जो त्याग, बलिदान औऱ वैभव का प्रतीक है। भगवा ध्वज के सामने ही संघ की शाखा लगाई जाती है।
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हर कोई संघ की ओर देख रहा
कार्यक्रम की अध्यक्षता मदनलाल शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि आज हर कोई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर देख रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों का दायित्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। हमें बहुत संभलकर चलना होगा।
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Published on:
22 Jul 2018 02:14 pm
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