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सावन में घेवर छाया, घेवर महोत्सव मनाया

शहर में घेवर महोत्सव मनाया। इसमें 20 किलो का घेवर बनाया गया।

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suchita mishra

Aug 05, 2017

आगरा। शहर में घेवर महोत्सव मनाया। इसमें 20 किलो का घेवर बनाया गया। 20 किलो का घेवर आगरा शहर का अब तक का सबसे बड़ा घेवर माना जा रहा है। जनता की उपस्थिति में घेवर को सबके साथ मिलकर घेवर महोत्सव का आगाज किया।

छप्पन भोग का प्रसिद्ध व्यंजन

दयालबाग स्थित भगत हलवाई के प्रदीप भगत ने इस मौके पर कहा घेवर छप्पन भोग के अन्तर्गत आने वाला एक प्रसिद्ध व्यंजन है। मैदे से बनने वाली यह मिठाई अपने आप में एक अनोखा स्वाद और महत्व लिए हुए है। घेवर हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है। सावन में तीज के अवसर पर बहन-बेटियों को सिंदारा देने की परंपरा काफी पुरानी है, इसमें चाहे कितना ही अन्य मिष्ठान रख दिया जाए, लेकिन घेवर होना अवश्यक होता है।

घेवर के बिना सावन अधूरा

उन्होंने कहा कि साल के विशेष समय पर बनने वाली इस पारंपरिक मिठाई घेवर का वर्चस्व टूटना संभव नहीं है, भले ही आधुनिक मिठाइयों के सामने इसकी लोकप्रियता में कुछ कमी दिखाई देती हो। कहा जाये तो घेवर के बिना तीज, रक्षाबन्धन और सावन माह का शिव पूजन अधूरा है।

केसर घेवर

बता दें कि घेवर इस समय 440 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इसके बाद भी खरीदार कम नहीं हो रहे हैं। रक्षाबंधन पर सबको घेवर चाहिए। अब तो केसर घेवर आ गया है। यह आकार में छोटा और केसर के रंग का होता है। हालांकि इसमें केसर के स्थान पर पीला रंग मिलाया जाता है।

घेवर पर मलाई

घेवर पर मलाई का खास महत्व है। सूखा खेवर खाने में वो स्वाद नहीं देता है, जो मलाई घेवर देता है। मलाई के साथ मेवा भी मिलाई जाती है। मलाई के साथ घेवर देखने में भी सुंदर लगने लगता है। आगरा के घेवर की मांग बहुत अधिक है। हलवाइयों का कहना है कि मलाई घेवर को अधिकतम चौबीस घंटे के अंदर खा लेना चाहिए, फिर यह खराब होने लगता है।

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