
शनिदेव को कर्मफलदाता कहा जाता है क्योंकि वो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब व्यक्ति मार्ग से भटक जाता है तो वे दंड देकर उसे मार्ग पर लाते हैं और जब वह अच्छे कार्य करता है तो शनि उसे पुरस्कृत भी करते हैं। जब शनिदेव किसी को दंड देते हैं तो शारीरिक और मानसिक प्रताड़नाएं देते हैं। ऐसे में व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन प्रताड़नाओं से बचने के लिए आज 18 नवंबर को शनि अमावस्या के दिन शनिदेव का करें विशेष पूजन आप शनि संबंधी कष्टों में राहत पा सकते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरबिंद मिश्र से से जानिए विधिवत पूजन व अन्य उपायों के बारे में।
पूजा के लिए प्रदोष काल सर्वोत्तम
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वैसे तो शनिदेव का पूजन किसी भी समय करो तो शुभ है लेकिन प्रदोष काल सर्वोत्तम माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से आधे घंटे पहले से लेकर सूर्यास्त के आधे घंटे बाद तक का होता है। पूजन के समय शनिदेव को सरसों के तेल का दीपक व सरसों के तेल के बने मिष्ठान अर्पित करें। इसके अलावा काले तिल, काली उड़द, काला कपड़ा, लोहे की कोई चीज और सरसों का तेल चढ़ाकर सारा सामान किसी को दान कर दें। इसके बाद दशरथकृत शनि स्तोत्र का तीन बार पाठ करें। शनि मंत्र और शनि चालीसा पढ़ सकते हैं। ऐसा करने से शनि की महादशा के कष्ट कटते हैं और शनि की कृपा मिलती है।
घर पर पूजन करना हो तो ऐसे करें
सर्वप्रथम स्नानादि करके शुद्धता के साथ एक लकड़ी के पाटे पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या सुपारी रखें। शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाएं व धूप जलाएं। इसके बाद शनिदेव पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। फिर तेल में तली वस्तुओं को चढ़ाएं। इसके बाद फल अर्पित करें। 5, 7, 11 या 21 बार शनि मंत्र का जाप करें और फिर शनि चालीसा का पाठ करके आरती करें।
ये बातें रहे ध्यान
1. शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाते समय उसमें काली उड़द की साबुत दाल, थोड़े काले तिल और एक लोहे की कोई कील या अन्य वस्तु डाल दें।
2. काले तिल, काला कपड़ा, उड़द की दाल किसी जरूरतमंद को दान करना भी शुभ होता है। इससे शनि की कृपा मिलती है।
3. शनिवार के दिन काला या गहरा नीला वस्त्र पहनना शुभ होता है। शनिदेव को नीला फूल काफी पसंद है उन्हें नीला फूल अर्पित करें।
4. रुद्राक्ष की माला से शनिदेव के मंत्र का जाप करें। कम से कम एक माला करें।
5. पीपल के पेड़ पर जल चढ़ा कर सात बार परिक्रमा करें। हो सके तो पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
6. शनिदेव का पूजन करते समय उनसे कभी आंख न मिलाएं। क्योंकि शनि की वक्र दृष्टि है। सिर झुकाकर नमन करके उनकी पूजा करें।
Published on:
18 Nov 2017 12:23 pm
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