
सति की कथा सुनकर भावुक हुए भक्त, जानिए माता सति की महिमा
आगरा। जिस पर गौरी शंकर की कृपा नहीं होती, उस पर नंदलाल भी कृपा नहीं करते। सती रूपी आत्मा के माता-पिता शिव-पार्वती हैं। जो इनकी सेवा करता है, उस स्त्री रूपी आत्मा को नारायण पति रूप में प्राप्त होते हैं। गौरी शंकर की कृपा के बिना नंदलाल की शरण में जाना सम्भव नहीं। शिव सेवा कर फल सुख होई, अविरल भक्ति राम पद होई... दोहे के माध्यम से वृन्दावन के गौरदास जी महाराज ने व्यास पीठ से सुखदेव जी द्वारा राजा परीक्षित को सुनाए गए गौरी शंकर के प्रसंग को भक्तों को सुनाया।
सती माता का शरीर 51 स्थानों पर गिरा
शिवालिक कैम्ब्रिज कॉलेज आवास विकास कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में गौरदास महाराज ने शिव व सती प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि किस तरह शिव (पति की) आलोचना सुनने पर सती माता ने अपना शरीर यज्ञ कुण्ड में भस्म कर दिया। जब शिवजी ने सती की देह को लेकर भ्रमण किया तो नारायण के चक्र से सती माता के शरीर 51 स्थानों पर गिरा, जहां शक्ति पीठों की उत्पति हुई। सती माता के कुण्डल काशी में, कंठ अमरनाथ में और वृन्दावन में केश गिरे। वृन्दावन में शक्तिपीठ कात्यायनी देवी की पूजा गोपियों ने नारायण का पाने के लिए की। जीवात्म का सच्चा सम्बंध सगे सम्बंधियों से नहीं बल्कि प्रभु से होना चाहिए। वह जीवन निरर्थक है जो मनुष्य जन्म में भी प्रभु की भक्ति न करे।
राग और द्वेष से दूर
शिव विश्वास और माता पार्वती श्रद्धा हैं। जीवन में जब श्रद्धा और विश्वास का गठजोड़ होता है तो पुरुषार्थ (कार्तिकेय) और विवेक (श्रीगणेश) की उपलब्धि होती है। कहा कि जीवन को राग और द्वेष से दूर रखोगे तभी सुखी रह पाओगे। भक्ति के बीज का कभी विनाश नहीं होता। नर्क को भगवान के अस्पताल बताया जहां जीवात्मा के पापों को काटने के लिए इलाज किया जाता है। अंत में आरती कर सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर शिव सिंह यादव, शिवांग, गौरांग, उषा यादव, अनु आदि उपस्थित थीं।
Updated on:
03 Jan 2019 06:44 pm
Published on:
03 Jan 2019 06:15 pm
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