
Pitri paksha
आगरा। पितृपक्ष की शुरुआत होने वाली है। 24 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष हैं। श्राद्ध में पितरों की संतुष्टि के लिए पिंडदान का बहुत महत्व माना जाता है। ज्योतिषाचार्य और वैदिक सूत्रम के चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम का कहना है कि Pind daan सबसे महत्वपूर्ण हैं। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि मृत्यु के बाद भी आत्मा सांसारिक मोह माया से अलग नहीं हो पाती। इसलिए वह प्रेत लोक में भी भटकती रहती है। इसलिए आत्मा को पितृलोक भेजने के लिए पिंडदान (सपिंडन) करना चाहिए। पिंडदान में पके चावल, आटा, घी एवं तिल को मिलाकर उसके पांच पिंड बनाने चाहिए।
ये लोग कर सकते हैं पितृपक्ष में पिंडदान
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि श्राद्ध क्रिया पुरुषों द्वारा की जानी चाहिए। इसे पुत्र, पोता, नाती, भाई, भतीजा, चाचा के लड़के और खानदान की सात पुश्ते कर सकती हैं। श्राद्ध के समय धोती पहननी चाहिए और ऊपरी हिस्से में कोई वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि पितृ पक्ष के दौरान हम अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए जो भी क्रियाएं करते हैं, उसे श्राद्ध कहते हैं। माना जाता है कि मृत्यु के बाद हमारे पितर इन दिनों स्वर्गलोक से भूलोक आते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
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गरुण पुराण की मान्यता में ये है शामिल
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि गरुण पुराण के अनुसार मृत्यु के तेरह दिन बाद शरीर से निकली आत्मा यमनपुरी पहुंचने के लिए निकलती है। और भूख और प्यास से ग्यारह महीने तक भटकती है। फिर बारहवें महीने में वह यमनपुरी (यमराज के दरबार) पहुंचती है। इसलिए माना जाता है कि तर्पण व पिंडदान से आत्मा को संतुष्टि मिलती है।
पित्र पक्ष में ऐसे करें तर्पण
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि पित्र पक्ष में अपने पूर्वज की तस्वीर पर सफेद फूलों की माला चढ़ाएं। ध्यान रहे कि पितृ पक्ष पूजन में लाल फूल व कुमकुम का प्रयोग न किया जाए। पितरों की आत्मा की शांति के लिए हवन करें। अग्नि में पितरों को दूध, दही, घी, तिल और खीर अर्पण करें। हाथ में कुश, तिल, जल लेकर दक्षिण की ओर मुंह कर लें और उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए संकल्प लें, फिर पूर्वजों के लिए बनाएं गए भोजन के पांच हिस्से निकालें। इसमें एक गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी और देवता का भाग होगा। इसके बाद घर में एक या तीन व इससे अधिक ब्राम्हणों को भोजन कराएं। यदि ब्राम्हण घर न आएं तो आप किसी मंदिर में जाकर भी उनका हिस्सा दान कर सकते हैं। भोजन के बाद उन्हें अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा जरूर दें। यदि आप ज्यादा समृद्ध हैं तो आप गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, कपड़े, अनाज व चांदी का महादान कर सकते हैं।
Updated on:
22 Sept 2018 03:45 pm
Published on:
22 Sept 2018 09:41 am
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