
Dr. Bhimrao Ambedkar University Agra
आगरा। जो कल था, वो आज नहीं है। कहते हैं समय के साथ व्यवस्थाओं में सुधार आता है, लेकिन डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के साथ कुछ विपरीत ही हुआ। एक समय वो था जब इस विश्वविद्यालय का नाम हुआ करता था। देश को दो राष्ट्रपति और दो प्रधानमंत्री देने वाले इस विश्वविद्यालय का आज का हाल चौंकाने वाला है। लाखों विद्यार्थी यहां की अव्यवस्थाओं का शिकार होते हुए सिर पटक रहे हैं। प्रवेश, परीक्षा और परिणाम आज भी इस विश्वविद्यालय की प्रमुख समस्या बनी हुई हैं। हालांकि नये कुलपति डॉ. अरविंद दीक्षित द्वारा व्यवस्थाओं में सुधार के बहुतेरे प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है।
1927 में हुई स्थापना, 1996 में बदला नाम
वर्ष 1927 में आगरा विश्वविद्यालय नाम से इस विवि की स्थापना भरतपुर हाउस में किराए के भवन में हुई थी। सर विलियम सिंक्लेयर मैरिस पहले कुलाधिपति व कैनन एडब्ल्यू डेविस पहले कुलपति थे। इसके बाद 93 वर्ष में कई कुलपति बदले। 1933 में इस विवि को अपनी इमारत मिली और इसे पालीवाल पार्क परिसर में शिफ्ट किया गया। वर्ष 1996 में इसका नाम आगरा विश्वविद्यालय से बदलकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय रखा गया।
इस तरह बढ़ा स्वरूप
आगरा विश्वविद्यालय की जब 1927 में शुरुआत हुई, तो पहले 14 कॉलेज संबद्ध थे, जिसमें 2530 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इसके बाद इस विवि का स्वरूप बढ़ता ही चला गया। एक छोटी सी धारा आज समुद्र रूप में परिवर्तित होते हुए लाखों विद्यार्थियों के भविष्य को समेटे है। 93 वर्ष बाद इस विवि से 1035 स्ववित्त पोषित, 17 शासकीय, 39 सहायता प्राप्त कॉलेज संबद्ध हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज भी डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा का हिस्सा है। इसके अलावा 10 होम्योपैथिक, चार मेडिकल कॉलेज, दो डेंटल कॉलेज, 432 बीएड कॉलेज, 6 नर्सिंग कॉलेज और दो यूनानी कॉलेज भी इस विवि के खाते में हैं।
विवि के ये रहे प्रमुख छात्र
आगरा विश्वविद्यालय की बात करें, तो यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शिक्षा प्राप्त की। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी इस विवि के छात्र रहे। इतना ही नहीं देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि के छात्र रह चुके हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इस यूनीवर्सिटी के छात्र हैं।
15 वर्ष पहले बदल गए हालात
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को डिग्री देने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि के हालात पिछले 15 सालों से बिगड़ना शुरू हुए। विवि का नाम फर्जीवाड़े में उछलने लगा, तो वहीं विवि प्रवेश, परीक्षा और परिणाम देने में भी असफल होने लगा। 2005 में डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनीवर्सिटी में सबसे बड़ा बीएड घोटाला हुआ। इस घोटोले में अभी तक दर्जनभर से अधिक विवि अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आ चुके हैं। कई जेल पहुंच गए, तो कई एसआईटी की जांच में अभी भी फसे हुए हैं।
प्रदर्शन से जूझता रहा विवि
इन 15 साल में डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनीवर्सिटी ने जाने क्या क्या नहीं देखा। प्रवेश, परीक्षा और परिणाम के लिए छात्र संगठनों ने न जाने कितने आंदोलन किए। ज्यादा पीछे न जाएं, तो वर्ष 2018 में ही ऐसा मामला सामने आया, जिसने शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले इस संस्थान में सारी गरिमा को तार तार कर दिया। छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान विवि के रजिस्ट्रार केएन सिंह तक को नहीं छोड़ा। आक्रोशित छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन में रजिस्ट्रार बुरी तरह जख्मी हो गए। इस मामले में छात्रों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कराई गई।
Published on:
01 Jul 2019 01:53 pm
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