60 वर्षीय राजेश कुमार महेन्द्रु ने बताया कि वे मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं। 19 वर्ष पहले आगरा छोड़कर चले गये थे। वहीं पर जाकर रहने लगे। सूरत में ही पत्नी और बच्चों के लिए एक छोटा सा मकान लिया और वहां कपड़े का व्यापार बहुत ही छोटे स्तर से शुरू किया। दिन रात मेहनत कर सूरत में बिजनेस सेट कर लिया। बच्चों को पढ़ा लिखाकर बड़ा किया। बेटियों की शादी कर दी, वहीं पूरा व्यापार पुत्र को सौंप दिया। सोचा कि अब बुढ़ापा आराम से काटेंगे, लेकिन शायद नसीब में कुछ और ही था।
राजेश कुमार महेन्द्रु ने बताया कि पत्नी से रिश्ते बहुत अच्छे रिश्ते नहीं रहे। इसके कारण बेटा भी बहक गया। आज बेटा सूरत में जरी और एम्बरोड़ी की फैक्टरी चलाता है। करीब 82 मशीन उसकी फैक्टरी में हैं। महीने का कम से कम 80 से 82 लाख रुपये कमाता है। बीएमडब्लू कार में चलता है एक स्विफ्ट कार भी घर में है, लेकिन उसके लिए दो वक्त की रोटी नहीं हैं। राजेश कुमार महेन्द्रु ने बताया कि आज वो अपने बेटे को फोन करते हैं, तो वो वह फोन नहीं उठाता है। राजेश कुमार महेन्द्रु को जब बेटे ने घर से निकाला, तो वे आगरा आ गये। यहां पर रामलाल वृद्धाआश्रम में आकर रहने लगे हैं।