
ताजमहल आजकल सुर्खियां बटोर रहा है। ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोलने की मांग को लेकर अयोध्या के भाजपा नेता डा. रजनीश सिंह ने एक रिट इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर की है। इस याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों की हड़ताल के कारण अब इस मामले में 12 मई को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता का दावा है कि, बंद कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों और शिलालेख मौजूद है। हाईकोर्ट से मांग की गई है कि इन बंद कमरों को खोलने का आदेश दें, जिससे वह राज सामने आ सके कि, विवाद खत्म हो सके। डॉ रजनीश सिंह का दावा है कि, याचिका में सरकार को एक तथ्य खोज समिति गठित करने और मुगल सम्राट शाहजहां के आदेश पर ताजमहल के अंदर छिपी मूर्तियों और शिलालेखों जैसे “महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्यों की तलाश” करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
विवाद खत्म करना जरूरी
याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि, कई हिंदू समूह दावा कर रहे हैं कि ताजमहल एक पुराना शिव मंदिर है। जिसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था। और कई इतिहासकारों ने इसका समर्थन भी किया है। याचिका में कहा गया है कि, इन दावों से ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां हिंदू और मुसलमान आपस में लड़ रहे हैं। इसलिए यह विवाद खत्म करना जरूरी है।
वर्ष 1934 में आखिर बार खुला
जिन 22 कमरों के राज जानने के लिए याचिका दायर की गई है, उन्हें आखिरी बार वर्ष 1934 में निरीक्षण के लिए खोला गया था। इतिहासविदों का कहना है कि, ताजमहल में मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे बने 22 कमरे मुगल काल से बंद हैं। चमेली फर्श पर यमुना किनारे की ओर जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी है। जिसे जाल लगाकर बंद कर दिया गया है। बताया जाता है कि 45 साल पूर्व जाने का रास्ता था पर बाद में इन्हें बंद कर दिया गया।
Published on:
10 May 2022 05:24 pm
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