
Teachers Day 2018
आगरा। Teachers' Day 2018 5 सितंबर को मनाया जाता है। भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस पर आपकी मुलाकात कराने जा रहे हैं, ऐसे शिक्षक से, जो बेसहारा बच्चों का सहारा बने। ये बच्चे भी वो थे, जिन्हें देखकर लोग अपनी नाक पर रूमाल रख लिया करते थे, लेकिन जब एक गुरु का साथ मिला, तो ये बच्चे भी शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ने लगे। ये बच्चे वो हैं, जो आपको कभी सड़कों पर भीख मांगते दिखाई देते थे और गुरु का नाम है नरेश पारस।
नरेश पारस ने लिया संकल्प
नरेश कुमार पारस ने दस वर्ष की उम्र से ही लोगों के लिए उनके रिश्तेदारों की चिठ्ठियां लिखना शुरू किया। चिठ्ठियां लिखते-लिखते लोगों की जनसमस्याएं के लिए अर्जी लिखना शुरू किया। युवावस्था आते-आते लोगों की मदद करना एक जूनून सा बन गया और लोगों की हर समस्या को अपनी समस्या समझकर उसके निस्तारण के प्रयासों को शुरू किया। हर असहाय और पीड़ित की सेवा करना तथा उसको न्याय दिलाना जीवन का उद्देश्य बन गया। नरेश पारस को बच्चे सबसे प्रिय हैं, जब उन्होंने सड़क पर घूमने वाले मासूम हाथों को गाड़ियों के सामने फैला हुआ देखा, तो उन पर रुका नहीं गया और इन बच्चों के लिए एक संकल्प लिया।
बच्चों की शिक्षा पर दिया जोर
नरेश पारस से पत्रिका ने खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि बच्चे सड़क पर भीख मांगकर अपना पेट नहीं भरते, बल्कि उनसे गलत आदतों के आदी हो जाते थे। इसलिये उन्होंने ऐसे ही करीब 43 बच्चों को चिन्हित किया। नरेश पारस ने बताया कि इन बच्चों को वे अपने साथ लेकर सरकारी स्कूल पहुंचे, तो वहां मौजूद शिक्षकों ने यह कहकर इन बच्चों का दाखिला नहीं लिया, कि इन बच्चों में बदबू आती है। इसके बाद नरेश पारस ने इन बच्चों को नहला धुलाकर और साफ कपड़े पहनाकर स्कूल में दाखिला कराने का प्रयास किया, लेकिन इस बार इन बच्चों की जाति आड़े आ गई।
बमुश्किल कराया स्कूल में एडमीशिन
किसी भी सूरत में जब नरेश पारस को सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने इन बच्चों को लेकर शिक्षा भवन में कक्षा लगाना शुरू कर दी। ये खबर जब मीडिया में उछली, तो शिक्षा अधिकारियों के होश उड़ गये। इसके बाद शिक्षा अधिकारियों के आदेश पर इन बच्चों के स्कूल में एडमीशन हुये। नरेश पारस ने बताया कि ये प्रयास रंग लाया, आज ये बच्चे इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
ये बच्चे किसी से कम नहीं
नरेश पारस ने बताया कि भीख मांगने वाले इन बच्चों के हाथ में कलम आई और शिक्षा का उजियारा हुआ, तो इन बच्चों का हुनर भी निखरने लगा। यही कारण रहा कि इनमें से कई बच्चों ने खेलकूद, डांस प्रतियोगिता में गोल्ड और सिलवर मेडल जीते हैं।
Updated on:
04 Sept 2018 06:30 pm
Published on:
04 Sept 2018 05:42 pm
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