1985 की बात बात 1985 की है। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे। भारतीय जनता पार्टी आगरा के नेता सुभाष भिलावली का दो साल का भतीजा भारत बहुत बीमार था। वे उसे लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली पहुंचे। एक सप्ताह बाद भी एम्स में नम्बर नहीं आया। वे राजमाता सिंधिया, भैंरों सिंह शेखावत और सुंदर सिंह भंडारी के यहां गए। कहीं से मदद नहीं मिली। फिर वे अटल बिहारी वाजपेयी के निवास पर पहुंचे। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी कुछ टाइप करा रहे थे। आगरा का परिचय दिया तो कहा कि बैठो, ये काम खत्म करके कुछ करता हूं।
क्या कहा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से काम खत्म करके अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी कार निकलवाई। अपने साथ बैठाया। बच्चे के बारे में हालचाल लिए। राजनीतिक चर्चा करते हुए एम्स पहुंचे। वहां के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक नागरानी से मिले। जाते ही अटल बिहारी वाजपेयी ने चिकित्सा अधीक्षक से कहा- ये बच्चा कल प्रधानमंत्री बन सकता है। एक सप्ताह से बाहर खड़ा हुआ है। आप एडमिट नहीं कर रहे हैं। काल के गाल में भेज रहे हैं। यह बात सुनकर चिकित्सा अधीक्षक चौंक गया। अपने स्टाफ को बुलाया। बच्चे को भर्ती कराया।
कष्ट इस बात का है कि अटल जी स्वयं एम्स में भर्ती हैं इसके बाद जाते-जाते अटल बिहारी वाजपेयी ने सुभाष भिलावली से कहा- कोई परेशानी हो तो हमें बताएं। इलाज में कोई कमी हो तो भी बताएं। सुभाष भिलावली ने बताया कि बच्चा ठीक होकर घर आ गया। एक साल बाद फिर बीमार हो गया और उसे बचाया नहीं जा सका। यह किस्सा बताते हुए सुभाष भिलावली रो पड़े। कहने लगे कि आज तो हाल यह है कि किसी भी पार्टी के अध्यक्ष से मिल नहीं सकते और उस समय अटल बिहारी वाजपेयी अपनी कार में बैठाकर एम्स ले गए। बहुत कष्ट है कि आज अटलजी को स्वयं एम्स में भर्ती होना पड़ा है। हम कामना करते हैं कि ईश्वर अटल जी को शीघ्र स्वस्थ करे।