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UP budget 2018 योगी सरकार से इन दो शहरों को चाहिए विशेष पैकेज

प्रदूषण के चक्कर में नए उद्योग स्थापित नहीं हो रहे हैं। परिणाम यह है कि नवयुवकों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है।

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yogi adityanath

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आगरा। उत्तर प्रदेश सरकार का बजट 16 फरवरी, 2018 को आ रहा है। दुनियाभर में ताजमहलल के लिए प्रसिद्ध आगरा और और कान्हा की जन्मस्थली मथुरा को बहुत आशाए हैं। दोनों शहरों के क्या जरूरत है, इस मुद्दे पर हमने बातचीत की डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पं. दीनदयाल उपाध्याय संस्थान के निदेशक और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. वेद त्रिपाठी से।

गैर प्रदूषणकारी उद्योगों के लिए धन मिले

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से अपेक्षा है कि बजट में आगरा में गैर प्रदूषणकारी उद्योग स्थापित करने के धनावंटन हो। इस समय तो हालत यह है कि आगरा उद्योगविहीन हो रहा है। प्रदूषण के चक्कर में नए उद्योग स्थापित नहीं हो रहे हैं। परिणाम यह है कि नवयुवकों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। आगरा में गैर प्रदूषणकारी उद्योग के रूप में आईटी पार्क, सॉफ्टवेयर पार्क, नॉलेज पार्क बनने चाहिए। आईटी पार्क बनने की बात वर्षों से सुन रहे हैं, लेकिन जमीन पर कुछ भी नहीं है।

यातायात की विकट समस्या

आगरा में यातायात की विकट समस्या है में। विभिन्न मार्गों पर नई सड़कों के लिए धन मिलना चाहिए। परिवहन सुविधाएं बढ़ाई जाएं। आगरा-बरेली मार्ग की हालत बहुत खराब है। हाथरस से बदायूं तक कोई ठीकठाक सड़क ही नहीं है। शहर की अंदर की सड़कें भी खऱाब हैं। आगरा-बरेली मार्ग को फोरलेन करने की घोषणा केन्द्र सरकार की ओर से की जा चुकी है, लेकिन जमीन पर अभी तक कुछ भी नहीं है।

आगरा-मथुरा के पर्यटन को मिले पैकेज

मथुरा और आगरा महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, लेकिन गंदगी से युक्त हैं। पर्यटक बड़ा परेशान होता है। यहां ऐसी व्यवस्थाएं करनी चाहिए कि गंदगी दूर हो। आवागमन की सुविधाएं हों। इसके लिए नए मार्ग निकालें। पर्यटन उद्योग को विशेष पैकेज मिले। आगरा में रात्रि बाजार खुलने की बात सुनते आ रहे हैं, लेकिन आज तक नहीं खुला है। रात्रिकालीनमनोरंजन के लिए म्यूजिकल पार्क बने। नाट्यशाला हो। सांस्कृतिक विकास के लिए अनुदान मिले। राज्य सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना हो, ताकि सतत कार्यक्रम होते रहें।

जूता उद्योग का ध्यान रखें

आगरा में जूता दस्तकारी उद्योग है। इसका भी ध्यान रखें। लैदर पार्क बनना था, उसका क्या हुआ, कुछ पता नहीं है। आगरा का जूता उद्योग गिराव की स्थिति में है। जूता दस्तकारों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। केन्द्र सरकार का प्रशिक्षण केन्द्र है, जो श्रमिकों को कोई ज्ञान नहीं देता है। कारखानों में महिलाओं की कोई जगह नहीं है। वे अपने घरों में काम करती हैं। जरूरत इस बात की है कि जूता श्रमिकों को ऐसा प्रशिक्षण दिया जाए कि जूता उद्योग दुनियाभर में सिरमौर बन सके।