बात सोमवार सुबह के नौ बजकर 30 मिनट की है। एसएसपी कार्यालय के सामने एक कार आकर रुकती है। इसमें से एक बुजुर्ग उतरते हैं। उन्हें परिजन व्हीलचेयर पर बैठाते हैं। यह देख वहां मौजूद सिपाही रणजीत सिंह फौजदार आता है और बुजुर्ग की मदद करता है। इसी दौरान एक महिला सिपाही आ जाती है। वह भी बुजुर्ग को व्हीलचेयर पर बैठाती है। परिजन बुजुर्ग को व्हीलचेयर से रैम्प पर होते हुए कार्यालय में ले जाने का प्रयास करते हैं। सफलता नहीं मिलती है तो सिपाही फिर आगे आता है। वह व्हीलचेयर को रैम्प से होते हुए कार्यालय तक आता है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) बबलू कुमार (Bablu kumar) के कक्ष के बाहर आकर व्हीलचेयर रोक देता है। कक्ष के द्वार पर बैठा सिपाही आता है और पूछता है कि क्या सेवा की जाए। बुजुर्ग ने बताया कि उसका नाम मधुव्रत है। शिकोहाबाद से आया है। बल्केश्वर में उसका एक मकान है, जिस पर लफड़ा है। सिपाही पूछता है कि क्या आप प्रार्थनापत्र लाए हैं या लिखना है। इस पर वे कागजों का पुलिंदा दिखाते हैं। सिपाही कहता है कि साहब अभी नहीं आए हैं, आप चाहें तो एसपी प्रोटोकॉल को समस्या बता सकते हैं। वे दिवस अधिकारी हैं। साहब न आए तो वही समस्याएं सुनेंगे। बुजुर्ग उनसे मिलने में हिचकिचाते हैं। वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) बबलू कुमार (Bablu kumar) से ही मिलने के इच्छुक हैं।
एसएसपी कार्यालय में द्वार पर तैनात सिपाहियों का इस तरह का व्यवहार अचरज में डालने वाला है। एक सिपाही ने कहा कि हम पब्लिक सर्वेंट हैं। हमारा काम है जनता की सेवा करना। इसी तरह के कार्य करते रहेंगे तो पुलिस की छवि सुधरेगी। सिपाही का मानना है कि पुलिस में अधिकांश लोग अच्छे हैं, लेकिन उनके अच्छे कार्यों की चर्चा नहीं होती है। सिर्फ गलत कार्यों को दिखाया जाता है और इसी कारण छवि को धक्का लगता है।