
UPPCS 2022 की परीक्षा के नतीजों का ऐलान हो चुका है। आगरा की दिव्या सिकरवार पहली रैंक लेकर टॉपर बन चुकी हैं। दिव्या का चयन यूपी में डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए हुआ है। परिवार में खुशियों की लहर है। पिता बेटी की सफलता से खुद को भाग्यशाली बता रहे हैं। जो एक बेटा नहीं कर पाता, वो उनकी बेटी ने कर दिखाया। पूरे आगरा में अपनी मेहनत से उनका नाम रौशन किया है पर दिव्या की यह सफलता कई संघर्षो से भरी हुई है।
कौन हैं दिव्या सिकरवार?
दिव्या सिकरवार आगरा के गांव रामी गढ़ी की रहने वाली हैं। उनके पिता राजपाल सिकरवार आर्मी से रिटायर्ड हैं। दिव्या ने आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरी किया है और आरबीएस कॉलेज से बीएड कर रही हैं। उन्होंने अपनी तैयारी की शुरुआत कोरोना काल में शुरू की थी
टॉप करने के बाद दिव्या ने क्या कहा?
दिव्या ने बताया, “मैं बहुत खुश हूं और इसका सारा परिवार के साथ-साथ अपने दोस्तों को भी देना चाहती हूं। आगे उन्होंने बताया, यह उनका तीसरा प्रयास था, इससे पहले वह दो बार परीक्षा दे चुकी थीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी थी। टॉप करने की उम्मीद नहीं थी लेकिन सेलेक्शन होने के लिए पूरा यकीन था। मां को पूरा भरोसा था जिस वजह से इसका पूरा क्रेडिट अपनी मां और परिवार को दिया है। दिव्या की मां ही उनका मोटिवेशन रही हैं।
लड़कियों को हर क्षेत्र में मिल रहा बढ़ावा- दिव्या सिकरवार
दिव्या ने बताया मां घंटो-घंटो मेरे साथ बैठी रहती थी। मुझे कब क्या चाहिए, उसका सारा ध्यान वहीं रखती थी। मेरे पूरे परिवार ने मेरा ये सपना सच करने में मेरी मदद की है। इसके साथ ही लड़कियां हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं और उनको अवसर भी दिए जा रहे हैं।
लड़कियों को मैसेज देना चाहती हूं कि अपने लक्ष्य पर फोसक करें और दिव्या ने कहा कि अपनी सर्विस के दौरान वो पूरी ईमानदारी से जनता की सेवा करेंगी। मैं महिलाओं और लड़कियों के उज्जवल भविष्य के लिए काम करना चाहती हूं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, क्योंकि उनके पास बढ़ने के कम अवसर रहते हैं।
"दो साल से कमरे में बंद थी दिव्या"
बेटी की सफलता पर पिता राजपाल सिकरवार ने कहा कि मैं बहुत खुश हूंं, मेरे घर परिवार और क्षेत्र में काफी खुशी का माहौल है। मैंने बेटे और बेटी में कभी फर्क नहीं समझा। पढ़ाई और पालन-पोषण में सबके लिए बराबर किया। मेरी बेटी का बचपन से ही पढ़ाई में मन लगता था। वो लगातार दो साल से कमरे में बंद थी। आज उसकी पढ़ाई रंग लाई।
उन्होंने आगे बताया कि दिव्या को पूरे परिवार का सपोर्ट था, सफलता का पूरा श्रेय उसकी मां को जाता है। उसकी मां उसके साथ रात-रात भर बैठकर हेल्प करती थी। कई बार तो ये कहती थी कि घंटा-दो घंटा आराम कर लो लेकिन उसको लगन लग गई थी और आज सफलता उसके हांथ लगी।
"दिव्या से बहुत उम्मीद थी"
दिव्या सिकरवार के शिक्षक ने कहा कि दिव्या को सभी विषय अच्छे लगते थे, वो बहुत मन से पढ़ती थी। हमें बहुत अच्छा लग रहा है। हमें इससे बहुत उम्मीद थी कि दिव्या बहुत आगे जाएगी और आज उसने इस बात को सिद्ध कर दिया है।
Updated on:
08 Apr 2023 11:15 am
Published on:
08 Apr 2023 10:33 am
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