
आगरा। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि उत्तर भारत में गुर्दे की पथरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां के मरीजों में पथरी का आकार भी बड़ा होता है। इसके पीछे पानी में साॅल्ट, गुटखा, तंबाकू का सेवन और कम पानी पीना है। उन्होंने बताया कि यूरिनरी इनफेक्शन के कारण भी गुर्दे की पथरी होने की आशंका रहती है। इससे पेशाब में पीएच बढ़ जाता है और पथरी होने की आशंका भी बढ़ जाती है। एक बार पथरी होने के बाद गुटखा, तंबाकू और दूध के उत्पादों का सेवन न करें। इससे दोबारा पथरी होने की आशंका रहती है। गर्मियों में पांच से सात लीटर पानी पीएं। अक्सर कामकाजी लोग टाॅयलेट की सुविधा न होने से पानी कम पीते हैं। इससे भी गुर्दे की पथरी के केस बढ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक से दो साल के बच्चों में भी गुर्दे की पथरी देखने को मिल रही है, यह हैरान करने वाला है।
ताजनगरी मेडिकल हब के रूप में विकसित
ताजनगरी मेडिकल हब के रूप में विकसित हो रही है। यहां लगातार वृहद स्तरीय चिकित्सकीय सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं। वहीं अब तकनीक के माध्यम से भी आगरा में ख्याति प्राप्त चिकित्सक दुनिया भर में बैठे चिकित्सकों के साथ सीधा संवाद कर उनका ज्ञानवर्धन कर रहे हैं। वरिष्ठ यूरोलाॅजिस्ट डॉ. मधुसूदन अग्रवाल आगरा में बैठकर देश-दुनिया के डाॅक्टरों को यूरोलाॅजी की विभिन्न आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दे रहे हैं। रविवार को उन्होंने वेबकास्टिंग की मदद से दुनिया भर के हजारों चिकित्सकों को गुर्दे की पथरी और प्रोस्टेट का दूरबीन व लेजर द्वारा आॅपरेशन का प्रशिक्षण दिया।
गुर्दे की पथरी और प्रोस्टेट का दूरबीन व लेजर से आॅपरेशन
यूरोलाॅजिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया के तत्वावधान में रविवार को सिकंदरा स्थित रेनबो हाॅस्पिटल में मिनीमल इनवेसिव यूरोलाॅजी (गुर्दे की पथरी एवं प्रोस्टेट का दूरबीन व लेजर विधि से आॅपरेशन) मास्टर क्लास का आयोजन किया गया। सुबह आठ से शाम छह बजे तक चली मास्टर क्लास के अंतर्गत डॉ. मधुसूदन द्वारा सभागार में बैठे देश-विदेश से आए चिकित्सकों को लाइव वर्कशाॅप के जरिए जबकि दुनिया के विभिन्न देशों में चिकित्सकों को वेबकास्टिंग की मदद से मिनीमल इनवेसिव यूरोलाॅजी, यूआरएस और आरआईआरएस तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया गया। सभागार में बैठे 100 से अधिक और दुनिया भर में बैठे हजारों चिकित्सकों ने इस प्रशिक्षण कार्यशाला की मदद से यूरोलाॅजी की आधुनिक तकनीकों पर ज्ञानवर्धन का लाभ उठाया।
इस दौरान रेनबो हाॅस्पिटल के निदेशक डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा, डॉ. अनीश श्रीवास्तव, डॉ. आशीष पाटिल, डॉ. चंद्र मोहन, डॉ. कंदर्प पारीख, डॉ. रविंद्र सबनिस, डॉ. एसके पाल, डॉ. दिलीप मिश्रा, डॉ. मनोज शर्मा आदि मौजूद थे।
मरीज को आॅपरेशन का अहसास भी नहीं होता....
डा. मधुसूदन अग्रववाल ने बताया कि इस तकनीक की मदद से गुर्दे की पथरी के आॅपरेशन के बाद टांका लगाने की आवश्यकता भी नहीं होती। दो से तीन मिलीमीटर के छेद से पथरी कब निकल गई, मरीज को इसका अहसास तक नहीं होता। आगरा में उनके द्वारा समय-समय पर यह कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं ताकि देश-दुनिया भर में मरीजों को लाभ पहुंचाया जा सके।
Published on:
15 Apr 2018 05:34 pm
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