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जानिए क्यों मनाई जाती है मीठी ईद

जानिए इस्लाम में मीठी ईद की महत्ता और इसे मनाए जाने की मान्यता।

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आगरा

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suchita mishra

Jun 05, 2019

इस्लाम धर्म में दो ईद मनाई जाती है। पहली ईद को ईद-उल-फितर या मीठी ईद कहा जाता है। इसे रमजान के महीने की आखिरी रात के बाद मनाया जाता है। वहीं दूसरी ईद को ईद-उल-जुहा या बकरीद कहा जाता है। इसे रमज़ान के महीने के 70 दिन बाद मनाया जाता है। बकरीद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। आज 5 जून को मीठी ईद है। जानते हैं इस्लाम धर्म में इसकी महत्ता।

ईद-उल-फितर (Eid Ul Fitr) या मीठी ईद पहली बार 624 ईस्वी में मनाई गई थी। मान्यता है कि इस दिन पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी। इसके बाद जीत की खुशी जाहिर करते हुए मिठाई वितरित की थी। आगे चलकर इसे जश्न के रूप में मनाया जाने लगा और इस दिन मीठी सेवइयां खिलाकर मुंह मीठा कराने की प्रथा बन गई।

वहीं कुरआन के अनुसार इसे अल्लाह की तरफ से मिलने वाले इनाम का दिन माना जाता है। इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने में पूरे माह रोजे रखे जाते हैं। जब अहले ईमान रमजान के पवित्र महीने के एहतेरामों से फारिग हो जाते हैं और रोजों-नमाजों तथा उसके तमाम कामों को पूरा कर लेते हैं तो अल्लाह एक दिन अपने इबादत करने वाले बंदों को बख्शीश व इनाम से नवाजता है। बख्शीश व इनाम के दिन को ईद-उल-फितर का नाम दिया गया है। इस दिन का पूरे साल बेसब्री से इंतजार किया जाता है।