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अस्थमा से ज्यादा गंभीर है सीओपीडी की परेशानी, नहीं है कोई इलाज, बचाव के लिए यहां पढ़ें उपाय

सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है लेकिन सावधानी बरतकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। दुनिया में इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान माना गया है।

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आगरा

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suchita mishra

Nov 15, 2017

cigarette

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सीओपीडी यानी क्रॉनिक आॅब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की बीमारी है। इस बीमारी में ब्रोन्कीअल ट्यूब में सूजन आने के कारण फेफड़ों में बलगम की समस्या शुरू हो जाती है, मरीज को हमेशा खांसी रहती है व सांस लेने में परेशानी होती है या सांस छोटी आती है। इसके लक्षण अस्थमा से मिलने के कारण कई बार लोग सीओपीडी को अस्थमा समझ बैठते हैं। लेकिन आपको बता दें सीओपीडी अस्थमा से कहीं ज्यादा गंभीर परेशानी है। समय से इसकी पहचान कर इलाज न मिलने से ये अपने पैर पसारती जाती है और धीरे—धीरे अन्य अंगों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। कई बार ये व्यक्ति के जीवन को भी खतरे में डाल सकती है। आइए आगरा की डॉ.मयूरी निगम से जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से।

प्रमुख कारण
सीओपीडी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मॉस्कीटो कॉइल, सिगरेट, गांवों में चूल्हे आदि से निकलने वाला धुआं होता है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, धूल आदि भी इस बीमारी को जन्म देते हैं।

शुरुआत में नहीं दिखते लक्षण
इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में नहीं दिखते, लेकिन जैसे जैसे बीमारी गंभीर होने लगती है, इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में खांसी, बलगम, सांस लेने में परेशानी, सांस में घरघराहट की आवाज, टांगों व चेहरे पर सूजन, भूख कम लगना व वजन कम होना आदि हैं।

इलाज नहीं, पर सावधानी से बचाव संभव
इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है, साथ ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

1. धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करें। मॉस्कीटो कॉइल के प्रयोग से बचें व किचेन में काम के दौरान एग्जॉस्ट का प्रयोग करें।

2. नियमित रूप से प्राणायाम व व्यायाम करें।

3. ज्यादा से ज्यादा लिक्विड चीजों को डाइट में शामिल करें।

4. डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को नियमित रूप से खाएं।

5. धूल वाले इलाकों या अधिक भीड़भाड़ वाली जगहों पर जानें से परहेज करें। सर्दियों में बहुत सुबह टहलने न जाएं, धूप निकलने पर ही जाएं। घास पर नंगे पैर न चलें।