
आगरा। Yamuna expresswaybus accident में जिस निहाल सिंह की वजह से 18 जानें बचीं, उसकी कहानी बड़ी ही रौचक है। निहाल सिंह सेना में जाकर देश सेवा करना चाहता था, लेकिन उसके इस सपने के बीच गरीबी आड़े आ गई। तीन भाइयों में मझले निहाल सिंह की पढ़ाई आठवीं कक्षा तक ही हो पाई, इसके बाद वह भी परिवार की रोजी रोटी कमाने में जुट गया।
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निहाल सिंह इस तरह बना देवदूत
यमुना एक्सप्रेस वे पर झरना नाले के पास 8 जुलाई को जो घटना हुई, वो दिल दहला देने वाली है। एक साथ 29 लोगों की लाशें झरना नाले से निकलीं। इस घटना के दौरान गांव चौगान के गढ़ी रामी का रहने वाला निहाल सिंह देवदूत बनकर सामने आया। उसने घटना होते ही पुलिस को सूचना दी और अकेला ही बचाव कार्य के लिए कूद पड़ा। उसने खुद के प्रयास से करीब 18 लोगों की जान बचाई। शायद निहाल सिंह सही समय पर निर्णय नहीं लेता, तो ये 18 जीवन भी खतरे में पड़ सकते थे।
सेना में जाना चाहता था निहाल
निहाल सिंह के भाई प्रेमपाल ने बताया कि उनके पिता राम सिंह खेती करते थे। पिता की मौत के बाद तीनों भाइयों पर परिवार का बोझ आ गया। निहाल सिंह की कक्षा आठ तक की पढ़ाई के बाद स्कूल छूट गया। वह भी गरीब के दलदल में फसता चला गया। निहाल सिंह ने बताया कि उसका सपना था कि सेना में जाकर देश सेवा करे, लेकिन पढ़ाई छूटी, तो ये सपना भी उसका टूट गया। खेती बहुत अधिक है नहीं, इसलिए वह मजदूरी कर परिवार का पेट पालता है।
पहले भी बचाईं कई की जानें
निहाल सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष इसी जगह एक स्कूल बस पलट गई थी। उस समय भी उसने स्कूली बच्चों को बस से बचाया था। यही नहीं सर्दी के समय में एक व्यक्ति नहर में डूब गया था, उसे भी कड़कड़ाती सर्दी में उसने नहर में कूदकर बाहर निकाला था।
Published on:
09 Jul 2019 05:16 pm
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