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पद्मश्री से सम्मानित पत्रकार, साहित्यकार व लेखक डॉ. कुमारपाल देसाई को आचार्य तुलसी सम्मान

मिशन पत्रकारिता के लिए नैतिक साहस, सत्यनिष्ठा व दृढ़ता जरूरी, आचार्य तुलसी-महाप्रज्ञ विचार मंत्र की ओर से 13वां सम्मान समारोह

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acharya tulsi samman

अहमदाबाद. राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने कहा कि मूल्यनिष्ठ व मिशन पत्रकारिता के लिए नैतिक साहस, सत्यनिष्ठा व दृढ़ता जरूरी है। अच्छा साहित्यकार-पत्रकार अपनी लेखनी से समाज में विवेक जगाता है और मूल्यवान समाज का निर्माण करता है।
आचार्य तुलसी-महाप्रज्ञ विचार मंत्र की ओर से रविवार को यहां आयोजित समारोह में पद्मश्री से सम्मानित हो चुके पत्रकार, साहित्यकार व लेखक डॉ. कुमारपाल देसाई को 13वां आचार्य तुलसी सम्मान प्रदान करने के बाद मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने यह बात कही।
राज्यपाल ने कहा कि डॉ. कुमारपाल देसाई ने साहित्य के साथ पत्रकारत्व के क्षेत्र में भी गहराई तक काम किया है। मूल्यनिष्ठ पत्रकारत्व के लिए प्रतिबद्ध डॉ. देसाई अपनी लेखनी से समाज में विवेक जागृत करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहने के कारण इस सम्मान के पात्र हैं। राज्यपाल ने कहा कि डॉ. देसाई ने विश्व को जैन चिंतन-अहिंसा का मार्ग बताने वाले आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ की पथ दिशा पर चलकर इस परम्परा को आगे बढ़ाया है।
सम्मान प्राप्त करने वाले डॉ. देसाई ने कहा कि राष्ट्र व जैन समाज में क्रांति के तौर पर आचार्य तुलसी प्रकट हुए और अणुव्रत आन्दोलन के माध्यम से राष्ट्र सेवा करके व मात्र 11 वर्ष की उम्र से साहित्य व पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने कहा कि पत्रकारत्व मात्र मनमोहक मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि दिशा दिखाने वाला है, समाज को शिक्षित करने का मुख्य कार्य पत्रकार का है।
वरिष्ठ पत्रकार, नवनीत के सम्पादक व प्रथम आचार्य तुलसी सम्मान से सम्मानित विश्वनाथ सचदेव ने विशेष अतिथि के तौर पर कहा कि पत्रकार का कार्य समाज को मात्र दर्पण दिखाना ही नहीं बल्कि दिशा बताने का भी है, समाज को शिक्षित करने का मुख्य कार्य भी है।
उन्होंने बताया कि देश के विभाजन और आजादी के मय उठे साम्प्रदायिक उन्माद को शांत करने के लिए आचार्य तुलसी ने वर्ष 1929 में सोचा था कि व्यक्ति को मनुष्य बनाना जरूरी है इसलिए अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से क्रांति का रास्ता दिखाया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी अणुव्रत की आवश्यकता बताई थी। पांचवा आचार्य तुलसी सम्मान प्राप्त कर चुके व नूतन सवेरा के सम्पादक नंदकिशोर नौटियाल भी 13वें सम्मान समारोह में विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।
यह कहा साध्वियों ने
अवधान विद्या में पारंगत साध्वी कनकरेखा ने बताया कि आचार्य तुलसी ने ना केवल जैन समाज बल्कि सम्पूर्ण मानवों को दिशा बोध दिया है। उन्होंने कहा कि जिसमें विनम्रता होती है वही बड़ा होता है। वर्तमान समय की आवश्यकता है कि सकारात्मक चिंतन वाले पत्रकार बढ़ते रहें। साध्वी लावण्यश्रीजी बताया कि आचार्य तुलसी ने विसर्जन का अवधान दिया। साध्वी राजश्री ने भी विचार व्यक्त किए।
मंच के अध्यक्ष राजकुमार पुगलिया ने शुरुआत में स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने आचार्य तुलसी सम्मान की आवश्यकता बताई थी। राज्यपाल कोहली के हाथों तीसरी बार और 13वां सम्मान जैन धर्म के मूर्धन्य पत्रकार डॉ. देसाई को दिया जा रहा है। गायिका मीनाक्षी भुतोडिय़ा ने श्रद्धागीत के जरिये आचार्य तुलसी का महिमा गान तुलसी तेरे नाम का दीया सदा जलता है, जो सोचे इस जग का उसे जग याद करता है व आचार्य तुलसी के पद्य बदले युग की धारा की प्रस्तुति दी। विजयराज संकलेचा ने राग मालकौंस में नवकार मंत्र की महिमा का गीत नवकार मंत्र सुखदाई प्रस्तुत किया। साध्वीवृंद ने प्रारंभ में नवकार मंत्र व अंत में मंगल पाठ किया।
इन संस्थाओं ने किया सहयोग
अहमदाबाद में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की शाहीबाग, कांकरिया, पश्चिम, अमराईवाड़ी इकाई, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, अणुव्रत समिति की ओर से समारोह आयोजन में सहयोग किया गया। तेरापंथी सभा के मंत्री विजय जैन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य नानालाल कोठारी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष बाबुलाल सेखानी, तेरापंथी प्रोफेशनल फोरम के धनपत मालू, तेरापंथ युवक परिषद के अपूर्व, रवि बैद, अनुज सिंघवी, गुजरात यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. चंद्रकांत मेहता, कवि चंद्रकांत शेठ, समाजसेवी सोभागमल कटारिया आदि ने अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर, साहित्य व स्मृति चिन्ह भेंट करके स्वागत किया। संतोषकुमार सुराणा ने अंत में आभार व्यक्त किया।
अब तक इनको आचार्य तुलसी सम्मान
पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए शुरू किया गया आचार्य तुलसी सम्मान अब तक विश्वनाथ सचदेव, डॉ. राम मनोहर त्रिपाठी, बाल कवि बैरागी, पत्रिका समूह के चेयरमैन गुलाब कोठारी के अलावा नंदकिशोर नौटियाल, रमेशचंद्र अग्रवाल, जगदीशचंद्र, शचीन्द्र त्रिपाठी, हरिवंश, दिवंगत भूपत वडोदरिया, प्रकाश दुबे आदि को प्रदान किया गया है।
यह भी हैं डॉॅ. कुमारपाल देसाई के कार्य
सायला के मूल निवासी व राणपुर में जयाबहन व गुजराती साहित्य के लेखक बालाभाई उर्फ जयभिक्खु देसाई के घर 30 अगस्त 1942 को जन्मे कुमारपाल के साहित्य-सर्जन की सफलता में पिता का विशिष्ट और व्यक्तित्व-विकास में माता का अमूलय योगदान रहा। मात्र 11 वर्ष की आयु में जगमग नामक बाल सामयिक में देश के लिए जीवन बलिदान देने वाले क्रांतिकारी की काल्पनिक कथा से लेखन की उन्होंने शुरुआत की।
वर्ष 1965 में एम.ए. के द्वितीय वर्ष में अध्ययन के दौरान लालबहादुर शास्त्री का जीवन-चरित्र 'लाल गुलाबÓ शीर्षक से लिखकर बाल साहित्य जगत में तहलका मचाने के कारण गुजरात सरकार की उच्च स्तरीय बाल साहित्य की स्पद्र्धा में इस पुस्तक को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. धीरूभाई कुमारपाल ने ठाकर के मार्गदर्शन में वर्ष 1980 में आनंदघन : एक अध्ययन विषय पर शोध-प्रबंध लिखने पर गुजरात विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
गुजरात सरकार की ओर से प्रायोजित अहिंसा यूनिवर्सिटी के एक्ट व प्रोजेक्ट समिति के चेयरमैन के साथ-साथ राजस्थान के लाडनूं स्थित मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी जैन विश्व भारती इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर एमेरिट्स व गुजरात विद्यापीठ के एडजन्कट प्रोफेसर के तौर पर प्रत्यक्ष शिक्षण कार्य के साथ वे सक्रिय रूप से जुड़े रहे। उन्होंने वर्तमान में भगवान महावीर के बारे में एन्साइक्लोपीडिया कहे जाने वाले ग्रंथ तीर्थंकर महावीर की रचना की है।
न्यूयार्क के यूनाइटेड नेशन्स के चेपल में ए जर्नी ऑफ अहिंसा : फ्रॉम भगवान महावीर टू महात्मा गांधी विषय पर वे प्रवचन भी दे चुके हैं। वर्ष 1958 से गुजरात समाचार में ईंट अने इमारत की शुरुआत करने वाले पिता जयभिक्खु का ईस्वी सन 1969 में निधन हुआ तब कुमारपाल की आयु 27 वर्ष थी, संपादक के विशेष आग्रह पर वे यह स्तंभ नियमित लिख रहे हैं। समग्र जैन समाज की 112 वर्ष पुरानी अखिल भारतीय संस्था भारत जैन महामंडल की ओर से प्रदान किया जाने वाला सर्वप्रथम व सर्वोत्कृष्अ अलंकरण उन्हें चैतन्य काश्यप फाउंडेशन के सौजन्य से आचार्य महाप्रज्ञ की उपस्थिति में 23 मार्च 2003 को मुंबई में प्रदान किया गया था।