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18000 cases of illegal tree-cutting in Gujarat forest in 5 years: CAG
गुजरात के जंगलों में वर्ष 2016-21 के दौरान अवैध रूप से पेड़ काटने के 18469 मामले सामने आए। यह खुलासा नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ओर से राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे व अंतिम दिन पेश की गई रिपोर्ट में हुआ। पेड़ों की अवैध कटाई राज्य के छह स्लॉथ भालू अभ्यारण्य में भी की गई। इनमें बालाराम अंबाजी अभ्यारण्य, जेसोर, जांबुघोड़ा, रतनमहल, शूलपाणेश्वर व पूर्णा अभ्यारण्य शामिल हैं।
गुजरात के वन्यजीव अभ्यारण्यों में रक्षण, संरक्षण व प्रबंधन के परफॉर्मेन्स ऑडिट में यह बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि चेक पोस्ट की कमजोर कार्रवाई, अपर्याप्त प्रशिक्षित मानव संसाधन के साथ-साथ उचित हथियार, वाहनों और संचार उपकरणों की कम उपलब्धता भी इन छङ अभ्यारण्यों में पेड़ों की अवैध कटाई के कारणों में शामिल हैं। इन छह अभ्यारण्यों में स्वीकृत 48 चेक पोस्ट की जगह सिर्फ 18 चेक पोस्ट हैं जिनमें से सिर्फ 12 ही कार्यरत हैं। इसी तरह की स्थिति भालू अभ्यारण्यों में सुरक्षा करने वाले मानव संसाधन की है।बीट गार्ड व फोरेस्टर के 22 से 42 फीसद पद रिक्त हैं। शूलपाणेश्वर में सबसे ज्यादा रिक्त पद हैं जहां पर फ्रंटलाइन स्टाफ के 98 स्वीकृत पदों की संख्या के मुकाबले सिर्फ 57 लोग कार्यरत हैं। यही स्थिति रतनमल की है जहां पर 39 फीसदी पद रिक्त हैं। फ्रंटलाइन स्टाफ के नहीं होने से संरक्षण प्रभावित होता है जो अवैध रूप से पेड़ों की कटाई से पता चलता है। वन कर्मियों के पास हथियारों की भी कमी है। प्रति स्टाफ इसकी अनुपलबध्ता 40 से 77 फीसदी तक है।
वनकर्मियों पर हमले की 110 घटनाएं
उधर यह भी बताया गया है कि इन पांच वर्षों के दौरान वन कर्मियों पर हमले की 110 घटनाएं घटीं। वनकर्मियों को उचित हथियारों से लैस करने से पेड़ों की अवैध कटाई, उन पर हमले व शिकार जैसी घटनाओं को रोकने में निवारक सिद्ध हो सकते हैं। सीएजी रिपोर्ट में वनकर्मियों के ट्रेनिंग में भी कमी को दर्शाया गया है। इन वनकर्मियों को 0.22 राइफल से प्रशिक्षित किया गया जबकि उन्हें 0.12 बोर की राइफल उपयोग करना होता है।