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३२० एकड़ जमीन घोटाले का मामला: राजस्व विभाग के तीन अधिकारियों पर मामला दर्ज

तीनों निलंबित, एसीबी कर रही है जांच, तत्कालीन निवासी अतिरिक्त कलक्टर, उप कलक्टर व प्रभारी तहसीलदार को खिलाफ उठाया कदम

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३२० एकड़ जमीन घोटाले का मामला: राजस्व विभाग के तीन अधिकारियों पर मामला दर्ज

अहमदाबाद/राजकोट. राज्य सरकार ने सुरेन्द्रनगर जिले की चोटिला तहसील के बामणबोर व जीवापर गांव की ३२० एकड़ सरकारी जमीन को कृषि जोत उच्चतम सीमा (एग्रीकल्चर लैंड सीलिंग-एएलसी) की गलत व्याख्या कर निजी लोगों के नाम कर देने के मामले में राजस्व विभाग के तीन अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सुरेन्द्रनगर एसीबी थाने में प्राथमिकी दर्ज की है।
राजस्व विभाग की ओर से इस अनियमितता का पर्दाफाश करने के बाद राज्य सरकार ने सुरेन्द्रनगर के तत्कालीन आवासीय अतिरिक्त कलक्टर (आरएसी) चंद्रकांत जी पंड्या, चोटिला के तत्कालीन डिप्टी कलक्टर वी. जेड. चौहाण और प्रभारी तहसीलदार जे. एल. घाडवी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इन तीनों ही के विरुद्ध एसीबी ने रविवार को सुरेन्द्रनगर के जिला कलक्टर के.राजेश की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की है।
एसीबी के अनुसार, तीनों ही अधिकारियों में पंड्या गुजरात राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक वहीं चौहाण पोरंबदर में उप जिला विकास अधिकारी के रूप में कार्यरत थे।
मामले की जांच राजकोट एसीबी के सहायक निदेशक एच.पी.दोशी को सौंपी गई है। सोमवार को दोशी ने टीम के साथ राजकोट में रेसकोर्स रिंगरोड इलाके में स्थित सी.जी.पंडाया के सी.के.हाऊस स्थित बंगले पर, पोरबंदर स्थित वी.जेड.चौहान के घर एवं चोटीला में स्थित घर पर जांच की। इसके अलावा प्रभारी तहसीलदार जे.एल.घाडवी के चोटीला स्थित घर पर भी जांच की।
यह था मामला :
कृषि जोत उच्चतम सीमा अधिनियम-1960 में किए गए संशोधन के बाद बामणबोर व जीवापर गांव की ३२० ए$कड़ जमीन तहसीलदार और कृषि आयोग चोटिला को आवंटित की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में सरकार के पक्ष में निर्णय होने के बावजूद इस आदेश की गलत व्याख्या कर याचिकाकर्ता व अन्य की मांग के आधार पर 324 एकड़ के अलग-अलग ईकाई के हकदार के रूप में निजी व्यक्तियों को बताकर गैरकानूनी आदेश जारी किए। इसके लिए फर्जी दस्तावेज भी तैयार किए।
इस आदेश को राज्य सरकार की मंजूरी मिलने से पहले निजी व्यक्तियों की ओर से इस जमीन की बिक्री की गई। इसमें इन तीनों अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई। जिसके चलते सरकार को तीन करोड़ २३ लाख रुपए के राजस्व का जंत्री के हिसाब से घाटा हुआ है।