राज्यपाल श्री कोहली गुरुवार को राजभवन में आयोजित तुलसी-महाप्रज्ञ विचार मंच (अहमदाबाद) की ओर से आयोजित आचार्य तुलसी के बीसवें महाप्रयाण दिवस के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्रांति तो कई तरह की होती है। जैसे राजनीतिक क्रांति, आर्थिक क्रांति, सैनिक क्रांति आदि, लेकिन आचार्य तुलसी ने चारित्रिक और नैतिक क्रांति कर मनुष्य को भीतर से बदलने का कार्य किया।
अन्य क्रांतियों में बाहरी परिस्थितियां तो बदलती है, लेकिन इनसान नहीं बदलता। चारित्रिक क्रांति में व्यक्ति को अपने अंदर से संघर्ष कर स्वयं में बदलाव लाना होता है और यह कार्य आचार्य तुलसी ने अणुव्रत जैसे संकल्पों आदि से बखूबी किया है। ऐसे ही विचारों की जरूरत आज समाज को है। राज्यपाल ने आचार्य तुलसी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आचार्य तुलसी, विनोबा, गांधीजी जैसे महापुरुषों ने व्यक्ति को मानव बनाने और समाज को बदलने के लिए पैदल यात्राएं की थी। आचार्य तुलसी ने तो देशभर में करीब 70,000 कि.मी. पदयात्राएं की।
व्यक्ति को पहले मानव बनाया
मुनिश्री राकेश कुमारजी ने कहा कि आचार्य तुलसी ने व्यक्ति को पहले मानव बनाने का कार्य करते हुए अंधकार में भटकने वाले मानवों को आध्यात्मिक उत्कर्ष का मार्ग दिखाया। उन्होंने हाल ही मनाए गए विश्व योग दिवस को याद करते हुए आचार्य तुलसी को सहज योगी बताते हुए कहा कि उन्होंने विरोध को भी प्रसन्नता से झेला।
विचार कभी नहीं मरते
कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि विचार कभी नहीं मरते। आचार्य तुलसी आज भी हमारे बीच हैं। विचार क्रांति के रूप में वे अमर हैं। उन्होंने उस समय समाज को दिशा दी, जब बदलते दौर में उनकी बहुत जरूरत थी। आचार्य सदैव दूसरों के दर्द का अनुभव कर लेते थे, यही गुण उन्हें दूसरे संतों से अलग बनाता है। आचार्य तुलसी के 20वें महाप्रयाण दिवस के कार्यक्रम में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डॉ. रघुवीर चौधरी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी आध्यात्मिक और सामाजिक नवचेतना जगाने वाले महान संत थे। मुनि दीपक कुमार के अनुसार आचार्य तुलसी ने विष पीकर लोगों को अमृत बांटा। वे ऐसा सूर्य हैं जो कभी अस्त नहीं होगा। उनके विचारों की रोशनी अमर रहेगी।
आचार्य तुलसी-महाप्रज्ञ विचार मंच के अध्यक्ष व कार्यक्रम समन्वयक राजकुमार पुगलिया ने इस मौके पर कहा कि आचार्य तुलसी के अणुव्रत सिद्धांतों की अब पहले से भी अधिक जरूरत है। अणुव्रत रूपी छोटे-छोटे संकल्पों से समाज में बड़े बदलाव संभव है। उन्होंने कहा कि समाज को सुधारने से पहले स्वयं को सुधारने का सूत्र आचार्य तुलसी ने दिया था। जो आज सर्वाधिक प्रासंगिक है। कार्यक्रम में मुंबई से आईं मीनाक्षी भूतडिया के स्वरों में आचार्य वंदना ने सबको भावुक कर दिया। समारोह में साध्वी कनकप्रभा की ओर से संपादित पुस्तकों का भी राज्यपाल समेत अतिथियों ने विमोचन किया। मुनि सुधाकर एवं विजय कुमार बोथरा ने कार्यक्रम का भावपूर्ण संचालन किया।
इस मौके पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद,अणुव्रत समिति अहमदाबाद और 'जीतो' के अनेक सदस्य व पदाधिकारी मौजूद रहे। राजभवन में हुए कार्यक्रम का समापन जन-गण-मन... के साथ हुआ।