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91 की आयु में महिला ने दिल के दौरे के साथ कोरोना को भी हराया

चिकित्सकों ने बताया जटिल केस

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91 की आयु में महिला ने दिल के दौरे के साथ कोरोना को भी हराया

91 की आयु में महिला ने दिल के दौरे के साथ कोरोना को भी हराया

अमहदाबाद. आमतौर पर कहा जाता है कि मनोबल ऊंचा हो तो असंभव काम भी भी संभव हो जाता है। इस कहावत को एक बुजुर्ग महिला ने चरितार्थ किया है। 91 वर्षीय इस महिला ने दिल के दौरा के साथ-साथ कोरोना का भी संक्रमण लग गया है। इन दोनों ही बीमारियों को इस आयु में भी परास्त कर दिया। ऑपरेशन करवाया गया और उसके बाद कोरोना का उपचार भी किया गया। इसके बाद स्वस्थ हुई बुजुर्ग महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
अहमदाबाद शहर में रहने वाली सुशीलाबेन (91) को गत 29 मई को दिल का दौरा पडऩे पर शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उस दौरान उन्हें सांस लेने में भी काफी तकलीफ हो रही थी। दिल के दौरे के साथ-साथ कोरोना के लक्षण होने पर सुशीलाबेन को शहर के सिम्स हॉस्पिटल में ले जाया गया। जहां उसे भर्ती करवाया गया। अस्पताल के क्रिटीकल केयर फिजिशियन डॉ. भाग्येश शाह ने बताया कि जब सुशीलाबेन को अस्पताल लाया गया था तब उनका रक्तचाप स्थिर नहीं था और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। कोरोना के उपचार के साथ-साथ एन्जियोग्राफी और एन्जियोप्लास्टी की भी कवायद शुरू की गई थी। उसके बाद एक जून को अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. केयूर परिख एवं डॉ. विनीत सांखला ने कोरोना के उपचार के बीच सुशीलाबेन की सफल एन्जियोप्लास्टी कर स्टेंट डाल दिया। इस प्रक्रिया के बाद उनका रक्तचाप की स्थिति में सुधार होने लगा और गत सात जून को उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। उन्होंने दोनों ही बीमारियों को हरा दिया

दुर्लभ केस, चमत्कार से कम नहीं

अस्पताल के चिकित्सक सुशीलाबेन के इस केस को काफी दुर्लभ मान रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि 90 वर्ष से अधिक आयु और कोरोना के संक्रमण के बीच एन्जियोप्लास्टी कर स्टेंट डालना काफी दुर्लभ है। ऐसे मामलों में एन्जियोप्लास्टी करना काफी जटिल होता है। लेकिन सुशीलाबेन की ऊंचे मनोबल के कारण यह संभव हो सका है। उनकी सकारात्मक शक्ति की अहम भूमिका रही है। मरीज की बहू डॉ. मीना शाह का मानना है कि इस आयु में कोरोना के साथ-साथ दिल के दौरे से उबरना चकत्कार से कम नहीं है।