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Ahmadabad News : वामन अवतार से जुड़ी है गुजरात के इस गांव की मान्यता

वंथली नगर पालिका ने नए नाम का प्रस्ताव पारित किया वामन स्थली के नाम से जाना जाएगा वंथली गांव विश्व का एकमात्र भगवान वामन का मंदिर यहां स्थित है

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Ahmadabad News : वामन अवतार से जुड़ी है गुजरात के इस गांव की मान्यता

Ahmadabad News : वामन अवतार से जुड़ी है गुजरात के इस गांव की मान्यता

राजकोट. जूनागढ़ जिले के वंथली गांव का नाम अब वामन स्थली हो जाएगा। वंथली पालिका ने इस आशय का प्रस्ताव पारित कर इस स्थल को पहचान दिलाने की कोशिश शुरू कर दी है। मान्यता है कि यह गांव भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ा है। वंथली शहर भाजपा प्रमुख दिव्येश जेठवा ने वंथली नगर पालिका को पत्र भेजकर इसकी मांग की थी। वंथली पौराणिक नगर है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु का वामन का अवतार इस गांव से जुड़ा है। जिसके कारण इसे वामन स्थली कहा जाता था। इस नगर में कई ऐतिहासिक विरासत भी मौजूद है। प्रशासन अब इन सभी को सहेजने का काम भी करेगा। हाल में यह वंथली के रूप में जाना जाता है। इसके गौरवपूर्ण इतिहास को फिर से जीवंत करने की आवश्यकता है। हाल में 24 में से 23 सदस्यों ने वामन स्थली नाम बदलने पर सहमति जताई। वंथली मे विश्व का एकमात्र भगवान वामन का मंदिर स्थित है।

भगवान विष्णु का पांचवा अवतार

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के कई अवतार में से वामन अवतार को सबसे महत्वपूर्ण अवतारों में से एक माना गया है। उन्हें पांचवें अवतार के रूप में जाना जाता है। श्रीमद्भगवद पुराण बताया गया है कि देव और दैत्यों के युद्ध में जब देव पराजित होने लगे और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगी।

तब इंद्रदेव भगवान विष्णु से सुरक्षा की मांग करने उनके शरण में जा पहुंचे। भगवान ने उन्हें धैर्य दिलाया और कहा कि वह माता अदिति के गर्भ से वामन के रूप में जन्म लेकर दैत्यराज बलि से देवताओं को मुक्ति दिलाएंगे। इसके बाद उचित समय पर महर्षि कश्यप के सहयोग से माता अदिति ने पयोव्रत का अनुष्ठान किया, ये अनुष्ठान पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है।


भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन माता अदिति के गर्भ से भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में अवतरण लिया और ब्राह्मण-ब्रह्मचारी का रूप धारण कर लिया। एक दिन भगवान राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे और भिक्षा में तीन पग भूमि मांगी । राजा बलि ने उन्हें तीन पग भूमि दान देने का वचन दिया। तब भगवान वामन ने विशाल रूप रखकर एक पग में स्वर्ग ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया और अभी तीसरा पैर रखना शेष था। राजा बलि ने अपना सिर भगवान के आगे झुकाकर तीसरा पग सिर पर रखने के लिए कहा। भगवान के पैर रखते ही राजा बलि पाताल लोक पहुंच गए।