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B V Doshi: मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण दोशी नहीं रहे

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B V Doshi: मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण दोशी नहीं रहे

B V Doshi: मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण दोशी नहीं रहे

मशहूर भारतीय वास्तुकार डॉ बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी (बी वी दोशी) का मंगलवार को निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे। अर्बन प्लानर व एजूकेटर के रूप में प्रसिद्ध दोशी को आर्किटेक्ट डिजाइन में बेहतरीन कार्य के लिए पद्म श्री व पद्म भूषण, 2018 में नोबल पुरस्कार के समान प्रित्जकर प्राइज और 2022 में रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश ऑर्किटेक्ट्स (आरआईबीए) ने रॉयल गोल्ड मेडल 2022 से सम्मानित किया था। उन्होंने फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बोजियर व लुई काह्न के साथ काम किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सहित सहित भारत भर के वास्तुकारों ने दोशी के निधन पर दुख व्यक्त किया।
वर्ष 1927 में पुणे में जन्मे दोशी ने मुंबई के जे जे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई की थी। इसके बाद उन्होंने पेरिस में वरिष्ठ डिजाइनर (1951-54) के रूप में ले कॉर्बोजियर के साथ और अहमदाबाद में प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए भारत में काम किया था। उन्होंने लुई काह्न के साथ भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद के निर्माण के लिए एक सहयोगी के रूप में काम किया। दोनों ने एक दशक से ज्यादा वक्त तक साथ काम करना जारी रखा। उन्होंने 1956 में दो वास्तुकारों के साथ अपना स्वयं का ‘वास्तुशिल्प’ अभ्यास स्थापित किया।
रॉयल गोल्ड मेडल 2022 से सम्मानित करते वक्त रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश ऑर्किटेक्ट्स (आरआईबीए) कहा था कि दोशी की इमारतों में वास्तुकला, जलवायु, स्थानीय संस्कृति और शिल्प की परंपराओं की गहरी छाप के साथ आधुनिकतावाद का भी संगम दिखता हैं।
तब दोशी ने कहा था कि यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। इस पुरस्कार मिलने की खबर ने उन्हें 1953 में ला कार्बोजियर के साथ काम करने के दिनों की यादें ताजा कर दीं।
उनके प्रोजेक्ट में प्रशासनिक और सांस्कृतिक सुविधाएं, आवास विकास और आवासीय भवन शामिल हैं। वे अपने दूरदर्शी शहरी नियोजन और सामाजिक आवास प्रोजेक्ट के साथ-साथ भारत और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में विजिटर प्रोफेसर के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में अपने काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने गए।

अहमदाबाद की इन इमारतों के रहे वास्तुकार

उन्होंने अहमदाबाद की कई इमारतों के वास्तुकार के रूप में अहम भूमिका निभाई।
इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलोजी
सेप्ट यूनिवर्सिटी
कनोरिया सेन्टर फॉर आट्र्स
श्रेयस स्कूल कैम्पस
अमदावाद नी गुफा
टैगोर हॉल
प्रेमाभाई हॉल
इसके अलावा उन्होंने आईआईएम-बैंगलूरू, आईआईएम-उदयपुर और अरण्य लो कोस्ट हाउसिंग-इंदौर की वास्तुकला भी की थी।

शानदार वास्तुकार थे दोशी: मोदी

प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि दोशी एक शानदार वास्तुकार और एक उल्लेखनीय संस्थान निर्माता थे। आने वाली पीढिय़ों को भारत भर में उनकी महानता की झलक मिलेगी। उनका जाना दु:खद है।

स्थापत्य जगत के ध्रुवतारा थे दोशी: सीएम

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्थापत्य जगत के ध्रुवतारा के समान विश्वविख्यात दोशी के निधन पर वे दु:ख व्यक्त करते हैं।