
Nishkalank Mahadev Temple
भावनगर. सावन महीने के दौरान गुजरात सहित देशभर में शिव भक्ति का माहौल है। चारों ओर जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक व हवन, यज्ञ और मत्रों के साथ भगवान शिव को रिझाने का प्रयास हो रहा है। शिवभक्ति के साथ-साथ शिवलिंगों की बात करें तो देशभर में स्थापित अलग-अलग शिवलिंग इतिहास को समेटे हुए हैं, उन्हीं में शामिल हैं निष्कलंक महादेव मंदिर। बताया जाता है इस शिवलिंग ने पांडवों के कलंक दूर किए थे, जिसके कारण यह निष्कलंक महादेव के नाम से प्रसिद्ध है।
भावनगर से करीब २४ किलोमीटर दूर कोलियाक गांव के पास समुद्र में स्थित निष्कलंक महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए गुजरात ही नहीं, अपितु देश के अनेक राज्यों से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। इस शिवलिंग पर समुद्र के पानी से रोजाना अपने आप जलाभिषेक होता रहता है। समुद्र में लहरे उठती हैं तो इस शिवलिंग के दर्शन नहीं होते हैं, क्योंकि यह मंदिर पानी में डूब जाता है। लेकिन पानी उतरने के बाद भक्त दर्शन करते हैं। यहां पर सावन महीने की अमावस्या को मेला लगता है। यहां पर ऋषि पंचमी पर स्थान करने का भी महत्व है।
यह है पौराणिक कथा :
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांचों पांडवों को लगा कि उनके सिर पर कलंक है। इस कलंक को दूर करने व निवारण के लिए वह दुर्वासा ऋषि के पास गए थे। दुर्वासा ऋषि ने पांडवों की व्यथा सुनी और कहा कि यह काली ध्वजा लेकर तुम समुद्र के किनारे चलते जाओ। जब पवित्र धरती आएगी तो यह काली ध्वजा सफेद हो जाएगी, तो समझ लेना की तुम्हारा कलंक उतर गया।
इस प्रकार पांडव ध्वजा लेकर समुद्र के किनारे चलते गए थो कोलियाक गांव के निकट समुद्र के किनारे पर ध्वजा सफेद हो गई थी। ऐसे में पांडवों ने समुद्र में स्नान किया और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। बताया जाता है कि शिवजी ने पांडवों को दर्शन दिए थे। शिवजी से पांडवों ने विनती की कि भगवान हमें दर्शन देने का इस जगह पर प्रमाण देना पड़ेगा, ऐसे में शिवजी ने पांडवों को कहा कि तुम रेत से शिवलिंग बनाओ। इस पवित्र जगह पर तुम्हारा कलंक उतरा है, ऐसे में यह जगह निष्कलंक के रूप पहचानी जाएगी।
Published on:
14 Aug 2019 03:54 pm
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