अहमदाबाद

भाजपा विधायक जयराज सिंह सहित 3 को उम्रकैद

न्यायालय ने निलेश रैयाणी की हत्या के मामले में भाजपा विधायक जयराजसिंह टेमुभा जाडेजा (47) सहित तीन को उम्रकैद तथा एक-एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा

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अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने वर्ष 2004 में राजकोट जिले के गोंडल में निलेश रैयाणी की हत्या के मामले में भाजपा विधायक जयराजसिंह टेमुभा जाडेजा (47) सहित तीन को उम्रकैद तथा एक-एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। सजा पाने वालों में जाडेजा का रिश्तेदार अमरजीतसिंह अनिरूद्धसिंह जाडेजा (4९) व पूर्व क्रिकेटर महेन्द्रसिंह उर्फ भगत प्रवीणसिंह राणा (३५) शामिल हैं।

वहीं इसी मामले में उम्रकैद की सजा प्राप्त समीर पठाण सहित 11 अन्य को बरी कर दिया। न्यायाधीश अकील कुरैशी व न्यायाधीश बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने शुक्रवार को निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए यह सजा सुनाई। विधायक सहित तीनों दोषियों को 30 सितम्बर तक सरेंडर होना होगा।


राजकोट की निचली अदालत ने वर्ष 2010 में गोंडल से भाजपा विधायक जयराज सिंह जाडेजा सहित 15 जनों को बरी कर दिया था वहीं समीर पठाण को हत्या व हथियार अधिनियम के तहत दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। समीर पठाण ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील याचिका दायर की थी वहीं राज्य सरकार ने जयराज सहित 15 के बरी होने को चुनौती दी थी।

यह था मामला
8 फरवरी 2004 के दिन राजकोट के पास गोंडल में जीप में सवार नीलेश रैयाणी (22) अपने दो सहयोगियों-जयेश सटोडिया व रामजी मराकना के साथ गुजर रहे थे। इसी दौरान आरोपियों ने हमलावरों ने गोंडल में जेसिंग काला चौक इलाके में रैयाणी सहित तीन लोगों पर बंदूक व हथियार से हमला किया। फायरिंग के दौरान रैयाणी की मौत हो गई जबकि सटोडिया व मराकना बच गए। सटोडिया ने इस मामले में जयराज सिंह जाडेजा, स्थानीय भाजपा नेता जयंती ढोल व पूर्व क्रिकेटर महेन्द्रसिंह राणा सहित 16 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बताया जाता है कि जमीन के तकरार को लेकर यह घटना घटी थी। भाजपा विधायक जाडेजा को इससे पहले विनू शिंगाळा हत्या मामले में बरी किया गया था।

हत्या व षडयंत्र का दोषी माना
खंडपीठ ने इन तीनों को हत्या, आपराधिक षडयंत्र व हथियार अधिनियम के तहत दोषी पाया। फैसले में कहा गया कि तीनों की रैयानी को हथियार के उपयोग से हत्या करने में पूरी भूमिका है। यह हत्या पूरी तरह योजनाबद्ध तरीके से की गई थी। इसमें चश्मदीद गवाह रामजी मरकाना व अन्य गवाहों के बयानों को ध्यान में लिया गया।


निचली अदालत की गंभीर भूल
खंडपीठ ने यह भी कहा कि निचली अदालत ने समीर पठाण को दोषी ठहराकर गंभीर भूल की है। सिर्फ हथियार की बरामदगी का सबूत आरोपी की संलिप्तता के लिए पर्याप्त नहीं है। खंडपीठ के अनुसार निचली अदालत ने जयराज, अमरजीत व महेन्द्र को बरी करने में भी भूल की है। रामजी मराकना की गवाही काफी अहम है।

Published on:
12 Aug 2017 05:24 am
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