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विमान हादसे से बढ़े तनाव के चलते मानसिक स्वास्थ्य की हेल्पलाइन पर दुगने हुए कॉल

इसमें वे लोग ज्यादा जिन्होंने हादसे के बारे में देखा-सुना, कईयों को नहीं आ रही नींद, 4 दिन में मृतकों के 250 परिजनों को दी गई काउंसलिंग

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file photo

अहमदाबाद शहर में गत दिनों हुआ विमान हादसा लोगों के दिलो-दिमाग पर ऐसा असर छोड़ गया कि कईयों को रात में नींद नहीं आने जैसी परेशानी हो रही है। इस खौफ के चलते मानसिक स्वास्थ्य विभाग की टेली मानस हेल्पलाइन पर फोन करने वालों की संख्या लगभग दोगुनी तक पहुंच गई है। इनमें वे लोग ज्यादा हैं जिन्होंने हादसे के बारे में सुना और देखा है।अहमदाबाद स्थित गुजरात के सबसे बड़े मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय चौहाण का कहना है कि जिन लोगों ने विमान हादसा देखा या इसके बारे में सुना है उनमें से अधिकांश के मन में डर बैठ गया है। अनेक ऐसे लोग हैं जिन्हें हादसे के बाद रात को बेचैनी या ढंग से नींद नहीं आ रही है।

उपचार-काउंसलिंग की जरूरत

हादसे के बारे में सोच-सोच कर लोगों को तनाव का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें उपचार या फिर काउंसलिंग की जरूरत भी होने लगी है। वे मनोचिकित्सकों या फिर मनो वैज्ञानिकों का संपर्क भी करने लगे हैं। इस संबंध में टेली मानस हेल्पलाइन पर फोन कर लोग परामर्श भी ले रहे हैं।

पहले आते थे 50 कॉल अब 90 से भी अधिक

डॉ. चौहाण के मुताबिक हादसे के बाद अहमदाबाद स्थित हेल्पलाइन पर कॉल की संख्या तेजी से बढ़ी है। हादसे से पहले कॉल का प्रतिदिन का औसत 50 था। हादसे के बाद इनकी संख्या बढ़ी है और अब इसका औसत 90 से भी अधिक हो गया है।

बेचैनी और नींद नहीं आने की ज्यादा परेशानी

हेल्पलाइन पर इन दिनों सबसे अधिक शिकायत हादसे को लेकर बैठे डर संबंधित हैं। सबसे अधिक शिकायत बेचैनी, रात को नींद नहीं आना, घबराहट और डर लगना है। हेल्पलाइन पर की जाने वाली शिकायत के बाद उन्हें उपचार या परामर्श दिया जा रहा है।

लोग स्वीकार नहीं कर रहे कि उनका कोई अपना खोया है

विमान हादसे के बाद सिविल अस्पताल में डीएनए टेस्ट या फिर अपनों को ढूंढ़ने आए लगभग 500 लोगों में से रविवार तक चार दिनों में ही 250 लोगों को काउंसलिंग की जरूरत पड़ी। सिविल अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि इस हादसे को लेकर लोगों में अलग ही उलझन है। लोग स्वीकार नहीं करते कि उन्होंने कोई अपना खोया है। ऐसे में मनोवैज्ञानिक उन्हें काउंसलिंग दे रहे हैं।