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डीजल वाहनों को सीएनजी में बदलें: जनहित याचिका

-दस वर्ष पुराने डीजल वाहन होने चाहिए बंद -15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर भी लगे रोक -हाईकोर्ट का राज्य सरकार के परिवहन सचिव, आयुक्त, जीपीसीबी को नोटिस

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Change diesel vehicles into CNG, PIL In Guj HC

डीजल वाहनों को सीएनजी में बदलें: जनहित याचिका

अहमदाबाद. राज्य के शहरों में वाहनों की बढ़ रही संख्या और इससे फैलने वाले वायु प्रदूषण के कारण नागरिकों के स्वास्थ्य के खतरे के मुद्दों को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें डीजल संचालित मालवाहक वाहन, छकड़ा, ऑटो रिक्शा, एएमटीएस, बीआरटीएस, दस वर्ष पुराने बस, ट्रक, टैक्सी जैसे वाहनों को सीएनजी में बदले जाने तथा 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी व न्यायाधीश वी. एम. पंचोली की खंडपीठ ने पर्यावरण को लेकर कार्यरत गैर सरकारी संगठन पर्यावरण मित्र की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर राज्य सरकार के परिवहन विभाग के सचिव, परिवहन आयुक्त, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 12 सितम्बर को रखी गई है।
पर्यावरण मित्र के सचिव महेश पंड्या के मार्फत दायर में वकील निमेष कापडिया ने दलील दी कि अहमदाबाद शहर सहित राज्य के अन्य बड़े और छोटे शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति काफी खराब है। इससे राज्य के साढ़े छह करोड़ की जनता के स्वास्थ्य का खतरा बना हुआ है। वापी, अंकलेश्वर और अहमदाबाद के वटवा जैसे औद्योगिक गलियारों के साथ-साथ अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा व राजकोट शहरों में रिहाईशी और व्यावसायिक इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। जीपीसीबी की रिपोर्ट में भी यह बात कही गई है। इन वाहनों से शीशा (लेड), नाइट्रोजन ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे जहरीले तत्व वातावरण खराब कर रहे हैं।
याचिका के मुताबिक राज्यभर में प्रदूषण के कारण किसानों की फसलें और जंगलों को नुकसान हो रहा है वहीं ग्लोबल वार्मिंग के कारण ओजोन परत में भी छिद्र हो रहा है। इसलिए इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा अत्यावश्यक है और इसके विपरीत असरों को रोकना काफी जरूरी है।
याचिका के अनुसार सभी लोग प्रदूषण को लेकर चर्चा करते हैं। प्रशासन वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए विस्तृत सर्वेक्षण भी करता है। ऐसे सर्वेक्षण और सिफारिशों के आधार पर देश की अदालतें बार-बार कई आदेश व निर्देश भी देती हैं, लेकिन इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। इसका परिणाम आम लोगों को उठाना पड़ता है।
इसलिए डीजल चालित वाहनों को सीएनजी में परिवॢतत किए जाएं। इन वाहनों को स्क्रैप में डालने की बजाय नए सीएनजी वाहन लिए जाएं। एएमटीएस और बीआरटीएस बसों को सीएनजी में परिवर्तित किया जाए। फिलहाल डीजल चालित बसों को चरणबद्ध तरीके से फेज आउट किया जाए। दस वर्ष पुराने वाहनों को राज्य के सडक़ों पर चलाने की मंजूरी नहीं दी जाए। ऐसे सभी वाहनों की सूची राज्य सरकार की पंजीकरण अथॉरिटी की ओर से संबंधित थाने को दिया जाए। सिर्फ सीएनजी चालित बीएस-4 मानदंड वाली रिक्शा को शहरों में चलाने की मंजूरी दी जाए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अहमदाबाद को हाल ही में हेरिटेज सिटी का दर्जा मिला है। अहमदाबाद उत्तरी भारत के अन्य शहरों की तरह प्रदूषित है। इस कारण अहमदाबाद महानगरपालिका के स्वास्थ्य विभाग की ओर से वर्ष 2017 में आम लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर एक रिस्पान्स योजना जारी की गई थी। इसके तहत प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए जरूरी कार्रवाई किए जाने की बात का हवाला दिया गया था।