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गुजरात: एक दशक में नारियल की बुवाई में 4500 हेक्टेयर की वृद्धि

दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को 33 फीसदी भेजा जाता है नारियल, विश्व नारियल दिवस पर आज विशेष

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गुजरात: एक दशक में नारियल की बुवाई में 4500 हेक्टेयर की वृद्धि

गुजरात: एक दशक में नारियल की बुवाई में 4500 हेक्टेयर की वृद्धि

गांधीनगर. भारत में सबसे लंबी समुद्र तटीय वाला राज्य गुजरात नारियल उत्पादन में बड़ी छलांग लगा रहा है। पिछले दशक में राज्य में नारियल की बुवाई क्षेत्र में 4552 हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य में वर्ष 2012-13 में नारियल का बुवाई क्षेत्र 21,120 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 25,672 हेक्टेयर पर पहुंच गया है।

राज्य के बागवानी निदेशक पी.एम. वघासिया ने कहा कि राज्य में नारियल का बुवाई क्षेत्र 25 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया है जबकि इसका उत्पादन 21.42 करोड़ नट्स (पक्का नारियल) है। यहां नारियल की खेती मुख्य रूप से गिर-सोमनाथ, जूनागढ़, भावनगर, वलसाड, कच्छ, नवसारी और देवभूमि द्वारका जिलों में होती है।20 फीसदी कच्चा, 42 फीसदी पका नारियल

संयुक्त बागवानी निदेशक बिपिन राठौड़ कहते हैं कि राज्य में उत्पादित होने वाले कुल नारियल में से 20 फीसदी नारियल का त्रोफा यानी कच्चे नारियल के रूप में जबकि 42 फीसदी नारियल का पके हुए नारियल (नट्स) के रूप में उत्पादन होता है। 5 फीसदी किसान अपने लिए और बीज के रूप में नारियल का उत्पादन करते हैं। उनके अनुसार गुजरात से 33 फीसदी नारियल दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भेजा जाता है।गर्मी में बढ़ जाती है मांग

नारियल वैसे तो पूरे साल उपलब्ध होता है। लेकिन गर्मियों (मार्च से जून) के दौरान नारियल की मांग काफी बढ़ जाती है। राज्य सरकार ने ‘गुजरात नारियल विकास कार्यक्रम’ लागू किया है। इसके लिए बजट में 403.30 लाख रुपएका प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार का यह कदम नारियल की खेती में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। इसके तहत नारियल की खेती करने वाले किसान को बुवाई खर्च का 75 फीसदी के अनुसार अधिकतम 37,500 रुपए प्रति हेक्टेयर की सीमा में सहायता दी जाती है। इस सहायता का भुगतान दो किस्तों (75:25) में किया जाता है। नारियल में एकीकृत पोषण और कीट प्रबंधन के लिए खर्च के 50 फीसदी के अनुसार अधिकतम 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर की सीमा में सहायता दी जाती है।कोकोनट डवलपमेंट बोर्ड के प्रभारी अजय कुमार ने कहा कि नारियल विकास बोर्ड के प्रयासों के चलते नारियल के बुवाई क्षेत्र में 1708 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। राज्य के तटीय क्षेत्रों में नारियल के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 2017 से अब तक 444.05 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।