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डिजिटल अरेस्ट ठगी का प्रयास विफल, वृद्धा के 35 लाख बचाए

एफडी तुड़वाकर पााई राशि अकाउंट में जमा करने को जल्दबाजी कर रही वृद्धा पर गई शंका, वॉट्सएप पर ठग का फोन था चालू, नरेश गोयल जेट एयरवेज मनी लॉन्डरिंग केस में लिप्तता के नाम पर डराया, बैंक कर्मचारियों की सतर्कता से साइबर क्राइम ब्रांच को मिली सफलता

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Ahmedabad cyber crime branch

Ahmedabad. डिजिटल अरेस्ट करके ठगी करने की एक कोशिश को बैंक कर्मचारियों की सतर्कता से विफल करने में अहमदाबाद शहर साइबर क्राइम ब्रांच को सफलता मिली है। डिजिटल अरेस्ट चल रही बुजुर्ग महिला के 33 लाख से ज्यादा रुपए बचा लिए।

अहमदाबाद साइबर क्राइम ब्रांच ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि मणिनगर क्षेत्र में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला 10 दिसंबर को बैंक ऑफ बड़ौदा की मणिनगर शाखा में पहुंचीं। उसके पास 33 लाख 35 हजार रुपए की नकदी थी। यह राशि वृद्धा ने फिक्स डिपॉजिट और एलआईसी तुड़वाकर जुटाई थी। वह एक बैंक अकाउंट में पूरी राशि जमा करने के लिए बैंक कर्मचारियों से जल्दबाजी कर रही थी। ऐसे में ब्रांच के मैनेजर अभिषेक सिंह और राज परमार, प्रिस्का चौधरी को शंका हुई।

उन्होंने महिला से सवाल पूछे लेकिन वह कुछ बताने को तैयार नहीं थीं, जिससे बैंक मैनेजर ने अहमदाबाद साइबर क्राइम की टीम को सूचना दी। जिस पर पीएसआई ईश्वर पटेल, कांस्टेबल राहुल कापडिया की टीम बैंक पहुंची। उन्होंने भी वृद्धा को समझाने की कोशिश की। उनका फोन लेकर जांच करनी चाहिए तो वह फोन भी देने को तैयार नहीं हुईं।

आखिरकार उनके फोन की जांच करने और पूछताछ में पता चला कि उनका वॉट्सएप कॉल चालू था। वह डिजिटल अरेस्ट गिरोह की ओर से डिजिटल अरेस्ट थीं और लगातार गिरोह के सदस्य वृद्धा को धमका रहे थे, जिससे वह अकाउंट में पैसे जमा कराने के लिए दबाव डाल रही थी। जिस बैंक अकाउंट में वृद्धा पैसे जमा कराने के लिए कह रही थी, वह अकाउंट भी बैंक कर्मचारियों को शंकास्पद लगा।

वृद्धा को साइबर क्राइम ब्रांच के एसीपी डॉ. हार्दिक माकडिया के पास ले लाया गया। मांकडिया ने वृद्धा को डिजिटल अरेस्ट ठग गिरोह के तौर तरीके बताए और समझाया कि कोई भी पुलिस, ईडी, सीबीआई या अन्य जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती हैं। आखिरकार वृद्धा को बात समझ में आ गई।वृद्धा ने मीडिया कर्मियों से कहा कि बैंक कर्मचारियों और साइबर क्राइम ब्रांच टीम की मदद के चलते उनके 33.35 लाख रुपए बच गए।

पांच दिसंबर से गिरोह के चंगुल में थी वृद्धा

पांच दिसंबर से वृद्धा साइबर डिजिटल अरेस्ट ठग गिरोह के चंगुल में थी। पांच दिसंबर को एक अज्ञात नंबर से वॉट्सएप पर फोन आया, जिसमें कहा कि आपके मोबाइल नंबर का उपयोग संदिग्ध गतिविधियों में हो रहा है। फोन करने वाले ने खुद की पहचान मुंबई क्राइम ब्रांच कर्मचारी के रूप में दी फिर ऊपरी अधिकारी से बात करने को कहा। कथित अधिकारी ने कहा कि तुम्हारे आधार कार्ड से कैनरा बैंक में एक अकाउंट खुला है। जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल की ओर से किए गए मनी लॉन्डरिंग मामले में तुम्हारे अकाउंट की लिप्तता सामने आई है। ऐसे में वृद्धा को डरा धमकाकर उनके बैंक डिपॉजिट, एलआईसी, एफडी की जानकारी ली और फिर वैरिफिकेशन करने के नाम पर उन्हें आइसीआइसीआइ बैंक का एक अकाउंट नंबर देकर उसमें सभी 33.35 लाख रुपए जमा कराने के लिए कहा। वृद्धा इतना डर गई थी कि गिरोह के बताए अनुसार वह बैंक की ब्रांच में लाखों रुपए लेकर पहुंच गई और जल्द ही बैंक अकाउंट में रुपए जमा करने का दबाव डालने लगी थी। बैंक स्टाफ की सतर्कता से ठगी की यह योजना विफल हो गई। वृद्धा की जीवनभर की बचत बच गई।