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46 हजार कर्ज के साथ पैदा हो रहा देश का हर बच्चा

locationअहमदाबादPublished: May 01, 2022 10:07:08 pm

Submitted by:

arun Kumar

महंगाई के साथ 614.9 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज (foreign debt) की गिरफ्त में सरकार- 7 साल में एनडीए सरकार ने यूपीए की अपेक्षा 8 लाख करोड़ रुपए कम कर्ज (Debt) लिया- 380 फीसदी जीडीपी (GDP) पर कर्ज के साथ वेनेजुएला दुनिया में सबसे आगे- 18 लाख एकड़ जमीन और इमारतें बेचकर 6 लाख करोड़ जुटाएगा केंद्र

46 हजार कर्ज के साथ पैदा हो रहा देश का हर बच्चा

46 हजार कर्ज के साथ पैदा हो रहा देश का हर बच्चा

अरुण कुमार
जयपुर. देश का हर नवजात (Baby born) 46 हजार रुपए कर्ज के साथ पैदा हो रहा है। विदेशी कर्ज (foreign debt) में डूबे देश के हालात कुछ ऐसे ही हैं। 31 मार्च को जारी वित्त मंत्रालय (Finance ministry) की रिपोर्ट के अनुसार देश का विदेशी कर्ज (foreign debt) दिसंबर, 2021 को समाप्त तिमाही में 11.5 अरब डॉलर बढ़कर 614.9 अरब डॉलर यानि करीब 4611500 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। वर्तमान में देश की कुल आबादी करीब 1.4 अरब है, इस तरह देश के हर नवजात से बुजुर्ग (Old aged) तक 46 हजार रुपए के कर्ज में डूबा है। हालांकि यह कर्ज मनमोहन सरकार (Manmohan government) के सात साल की तुलना में 8 लाख करोड़ रुपए कम हैं। मनमोहन सरकार ने 2006-13 के बीच कुल 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया जबकि मोदी सरकार (Modi government) ने 2014-21 के बीच सात साल में 13 लाख करोड़ विदेशी कर्ज ही लिया है। यह सुधार तब है जब पूरे दो साल कोरोना की चपेट में परिवहन से लेकर पूरे देश का कारोबार चौपट रहा। इस मामले में वरिष्ठ आर्थिक सलाहाकार डॉ. राकेश सिंह का कहना है कि देश में बड़े प्रोजेक्ट चलाने के लिए विदेशी कर्ज मजबूरी नहीं जरूरत है। दुनिया के संपन्न देश- अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, नार्वे, यूके, आस्टेलिया, जर्मनी पर हजारों डॉलर का प्रति व्यक्ति कर्ज हैं, जो रुपयों में 17 लाख से भी ऊपर पहुंच गया है।

जीडीपी का 91 फीसदी तक पहुंचा कर्ज
वित्त वर्ष 2021-22 में कोरोना के चलते केंद्र और राज्यों का कुल कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 91 फीसदी तक पहुंच गया था, जो बीते 40 वर्षों में सबसे अधिक रहा। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में कारोबार के चलते इसके 85-88 फीसदी रहने का अनुमान है। वेनेजुएला पर दुनिया में सबसे ज्यादा जीडीपी का 380 फीसदी कर्ज है। इसी तरह जापान पर 266 फीसदी, यूनान पर 206 फीसदी, लेबनान पर 172 फीसदी, इटली पर 156 फीसदी, सिंगापुर पर 131 फीसदी और यूएसए पर 128 फीसदी कर्ज है।

मुद्रीकरण से भरपाई की तैयारी
निजीकरण और विनिवेश के बाद केंद्र सरकार अब मोनेटाइजेशन यानि कि मुद्रीकरण (monetisation) से अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने की तैयारी में है। इसके तहत सरकार रेलवे, डिफेंस मंत्रालय, भारत अर्थ मूवर्स, एचमटी, बीएसएनएल की करीब 18 लाख एकड़ जमीन और इमारतें बेचकर 6 लाख करोड़ रुपए जुटाएगा। इसके लिए गत मार्च में बाकायदा नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन नामक कंपनी भी बनाई गई, जो इन संपत्तियों को बेचने में मदद करेगी।

किस देश में प्रति व्यक्ति पर कितना कर्ज
देश प्रति व्यक्ति कर्ज (लाख रुपए)
स्वीटजरलैंड 17.98
सिंगापुर 17.32
मारीशस 11.10
नार्वे 9.77
यूके 9.५2
स्वीडन 7.08
फिनलैंड 6.56
फ्रांस 6.५4
डेनमार्क 6.42
आस्ट्रेलिया 5.39
जर्मनी 5.17
यूएसए 4.५३
भारत 0.46
स्रोत : आईडीएस 2020-21

 

46 हजार कर्ज के साथ पैदा हो रहा देश का हर बच्चा

विदेशी कर्ज का मर्ज (रुपए करोड़ में)
मनमोहन बनाम मोदी
10 लाख (2006) 33 लाख (2014)
13 लाख (2007) 36 लाख (2015)
17 लाख (2008) 36 लाख (2016)
17 लाख (2009) 35 लाख (2017)
19 लाख (2010) 40 लाख (2018)
24 लाख (2011) 41 लाख (2019)
27 लाख (2012) 42 लाख (2020)
31 लाख (2013) 46 लाख (2021)
स्रोत : केंद्रीय वित्त मंत्रालय (दिसंबर 2021 तक)

कर्ज मजबूरी नहीं जरूरत
बदले परिदृश्य में कर्ज मजबूरी नहीं जरूरत है। कारोबार शुरू करने के लिए पूंजी लगानी पड़ती है। सरकारी परियोजनाएं पूरी करने के लिए वित्तीय सहायता मजबूरी है। भारत पर कर्ज का बोझ संतुलित है, यह धीरे धीरे घट रहा है। कई विकसित देशों पर भारत से कई गुना ज्यादा कर्ज है।
– डॉ. राकेश सिंह, वरिष्ठ आर्थिक सहालकार, सप्लाई चेन, मुंबई

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