
अब देश और विदेश में भी पंख फैलाएगी 'जीएफएसयू', राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा बनी नेशनल फोरेंसिक यूनिवर्सिटी
अहमदाबाद. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए जिस दूरदर्शिता और सपने के साथ गुजरात फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (जीएफएसयू) की स्थापना की थी अब उसे पंख लगने जा रहे हैं। जीएफएसयू को अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने पंख फैला (ऑफ शोर कैंपस खोल) सकेगी।
ऐसा इसलिए है क्योंकि केन्द्र सरकार ने जीएफएसयू को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्रदान करते हुए इसे नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित करने का ऐलान किया है। इसके लिए केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में सोमवार को द नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बिल २०२० को पारित भी कर दिया गया।
अब इस युनिवर्सिटी के लिए केन्द्र सरकार 100 प्रतिशत ग्रान्ट आवंटित करेगी और युनिवर्सिटी का मुख्यालय गांधीनगर रहेगा। केन्द्र सरकार के इस महत्वपूर्ण के निर्णय के लिए गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया।
जाडेजा ने आगे कहा कि यह युनिवर्सिटी देश और दुनिया में क्राइम के तरीकों को समझने और क्राइम को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने कहा कि, आज के डिजिटल युग में फॉरेन्सिक सायन्स जैसे विषय पर नेशनल इम्पोर्टन्स वाली संस्था हमारे राज्य में है, जिसका प्रमुख कार्यक्षेत्र प्रिवेन्शन ऑफ क्राइम, क्राइम का तेजी से इन्वेस्टिगेशन और जस्टिस डिलिवरी सिस्टम को मज़बूत बनाने के लिए रिसर्च और ट्रेनिंग करना है। केंद्रीय दर्जा प्राप्त करने के बाद इस युनिवर्सिटी से जुड़े देश-विदेश के स्टेकहोल्डर्स को और अधिक लाभ मिलेगा। इस युनिवर्सिटी ने केवल 10 वर्ष के समय में एक्सपर्ट्स और ज्युडिशरी के सदस्यों को अपराध संशोधन व सिक्योरिटी से संबंधित विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण दिया है। गुजरात फोरेंसिक सायन्स युनिवर्सिटी की भूमिका और योगदान को ध्यान में रखते हुए उसे केन्द्रीय स्तर पर आगे बढ़ाना पूरे देश के परिप्रेक्ष्य में ज़रूरी था। इसलिए प्रधानमंत्री ने इस युनिवर्सिटी को केन्द्रीय युनिवर्सिटी का दर्जा देने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है। इस युनिवर्सिटी में फॉरेन्सिक सायन्स और उससे संलग्न अन्य विषय जैसे कि सायबर क्राइम, डिजिटल फोरेन्सिक, बीहेवियरल सायन्स आदि में शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श कार्य उपलब्ध कराना है।
देश विदेश में खोल सकेंगे केन्द्र
देश के विभिन्न राज्यों के अलावा, बांग्लादेश, म्यांमार, मालदीव, जि़म्बाब्वे, रवान्डा, युगान्डा, त्रिनीदाद और टोबेगो जैसे देशों में ऑफ शोर कैम्पस की स्थापना करने के अनुरोध इस युनिवर्सिटी के पास आते हैं। अब इस युनिवर्सिटी में ऑफ कैम्पस सेन्टर एवं विदेश में ऑफ शोर कैम्पस की स्थापना की जा सकेगी, जिसके कारण देश और दुनिया में फॉरेन्सिक सायन्स की शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण और परामर्श कार्य को बढ़ाने में यह संस्था मील का पत्थर साबित होगी।
५८ देशों के साथ है करार
जीएफएसयू ने 58 देशों के साथ एमओयू किए हैं, जिसके अंतर्गत प्रशिक्षण देने के बाद उन देशों में फॉरेन्सिक साइंस लैबोरेटरी की स्थापना के लिए भी यूनिवर्सिटी मददगार होती है।
विद्यार्थियों को होगा बड़ा फायदा
जीएफएसयू को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने से विद्यार्थियों को बड़ा फायदा होगा। उन्हें अंतरराष्ट्रीय विवि में शिक्षा प्राप्त करने, प्रशिक्षण का अनुभव मिलेगा। विवि देश के विविध राज्यों और विदेशों में अपने केन्द्र खोल सकेगा जिससे फोरेंसिक साइंस शिक्षा, शोध को बढ़ावा मिलेगा।
-डॉ. जे.एम.व्यास, महानिदेशक, जीएफएसयू
Published on:
21 Sept 2020 10:15 pm
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